हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के माइक्रोबाॅयलाॅजी विभाग के छात्र इसी सत्र से वैदिक माइक्रोबायोलॉजी का अध्ययन करेंगे। वैदिक माइक्रोबायोलॉजी को स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पढ़ाया जाएगा। इसमें वेद, पुराण, उपनिषद् और गीता के श्लोकों को जोड़ा गया है।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की विज्ञप्ति में बताया गया कि माइक्रोबायोलाॅजी विभागाध्यक्ष प्रो. आरसी दूबे ने चारों वेदों का अध्ययन करने के बाद वैदिक माइक्रोबायोलाॅजी का पाठ्यक्रम तैयार किया है। प्रो. दूबे ने वैदिक मंत्रों का उपयोग माइक्रोबायोलाॅजी के बहुत सारे माॅडल्स में किया है। यह पाठ्यक्रम वैज्ञानिक दृष्टि से पूरे सूक्ष्म जैविकीय ब्रह्माण्ड को जोड़ते हुए सृजित किया है।
प्रो. दूबे के हवाले से विज्ञप्ति में कहा गया कि वैदिक माइक्रोबायोलाॅजी की एक पुस्तक प्रो. आरसी दूबे द्वारा प्रकाशित की जा रही है, जिसको सरल हिन्दी में अर्थ के साथ वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है। इस पुस्तक में तीन भाषाओं का समन्वय है। वैदिक मंत्र संस्कृत में होते है, जिनका रूपान्तरण हिन्दी में किया गया है। इनका अंग्रेजी में भी रूपान्तरण किया गया है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि विज्ञान संकाय में वैदिक माइक्रोबायोलाॅजी पुस्तक लाना बहुत बड़ी चुनौती है।