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Uttarkhand Election: उत्तराखंड में एक बजे तक 35 फीसदी से अधिक मतदान

पुलिस,प्रशासन और स्वयंसेवक बुजुर्गों, दिव्यांगों को मतदान स्थल तक ले गए

देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह है, वहीं पुलिस और प्रशासन के साथ स्वयंसेवकों ने बुजुर्गों, दिव्यांगों को मतदान स्थल तक ले जाने के लिए बड़े उत्साह से कार्य किया। उत्तराखंड निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, दोपहर 11 बजे तक राज्यभर में औसतन 19 फीसदी तथा एक बजे तक 35.21 फीसदी मतदान हो गया था।

हल्द्वानी में मतदान स्थलों पर उत्तराखंड पुलिस के जवान सुरक्षा ड्यूटी के साथ-साथ मतदाताओं का सहयोग भी कर रहे हैं। हल्द्वानी में मतदान करने आई 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला चलने में असमर्थ थीं, तो कांस्टेबल मनोज जोशी ने उन्हें गोद में उठा लिया और बूथ तक पहुंचाया।

उत्तरकाशी जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री चिंद्रिया लाल ने मतदान किया। वह डोली की मदद से पोलिंग सेंटर तक पहुंचे। उन्होंने सभी से मतदान की अपील की है।

चमोली जिला में  स्वयंसेवकों ने दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं को डोली,व्हीलचेयर के माध्यम से मतदान केंद्रों तक पहुंचाया।

उत्तरकाशी जिले के पोलिंग सेंटर में दिव्यांग मित्रों ने दिव्यांग मतदाताओं की मदद की है। उनको कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन कराने के साथ ही दिव्यांगों को वाहनों तक छोड़ने का काम भी किया जा रहा है।

बागेश्वर जिला के विधानसभा क्षेत्र कपकोट स्थित मतदान केंद्र में वोट डालने के लिए पहुंचे 100 वर्षीय श्री नारायण सिंह को एसडीएम कपकोट ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस दौरान निर्वाचन वॉलिंटियर ने उनको बूथ तक आने में सहयोग किया।

देहरादून जिला की सहसपुर विधानसभा के बूथ नं. 64 पर 100 वर्षीय श्री लाल बहादुर ने मतदान किया। उन्होंने मजबूत लोकतंत्र के लिए सभी से मतदान करने की अपील की। वहीं, सहसपुर में ही 100 वर्षीय मोहम्मद यामीन ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

वहीं, देहरादून जिला के मसूरी विधानसभा के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय नंबर-1 सालावाला, हाथीबड़कला में सखी बूथ बनाया गया है। आदर्श सखी बूथ में स्वागत गेट, कोविड-19 सहायता केंद्र, दिव्यांग जनों के लिए सहायता केंद्र, मतदाता सहायता केंद्र, बीएलओ हेल्पडेस्क, वृद्ध विकलांग महिलाओं के बैठने के लिए अलग-अलग स्थान की व्यवस्था की गई है। मतदाताओं की सुविधा के लिए बीएलओ के अतिरिक्त चार महिला कर्मचारी नियुक्त की गई हैं। पोलिंग बूथ के मुख्य द्वार को भी रंग-बिरंगे गुब्बारों से बने सुंदर प्रवेश द्वार से सुसज्जित किया गया है। वृद्धजनों एवं महिलाओं को पुष्प देकर भी सम्मानित किया जा रहा है। मतदान स्थल पर आने वाले लोगों के लिए दो सेल्फी प्वाइंट भी बनाए गए हैं, जिस पर युवा महिला एवं सभी मतदाता मतदान करने के पश्चात अपनी सेल्फी ले रहे हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बूथ का भ्रमण किया और तीन पीढ़ी (दादी, माँ, पोती )के साथ संवाद कर निर्वाचन आयोग की पहल सखी बूथ के बारे में फीडबैक प्राप्त किया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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