इस फोटो ने बहुत कुछ कह दिया
फोटो में दादी चौखट पर दरवाजे की टेक लगाकर अकेली बैठी हैं
देहरादून। न्यूज लाइव ब्लॉग
सार्थक पांडेय और हमें किसी को भी इस फोटो के सामने आने से पहले पता नहीं था कि लगभग 83 साल की बूंदी देवी, जिनको हम दादी कहकर पुकारते हैं, अपने घर पर हैं। हम तो अंदाजन 200 मीटर की एरियल डिस्टेंस (पैदल दूरी लगभग दो किमी.) पर दिख रहे दादी के खंडहर हो चुके मकान का फोटो चाह रहे थे। जब भी कंडोली जाते हैं, दादी का मकान सामने दिखता है। इस घर और कंडोली के बीच घना जंगल और जाखन नदी है। पहले ढाल पर नीचे जाकर नदी को पार करना होता है और फिर झाड़ियों के बीच से होकर लगभग एक से डेढ़ किमी. की थोड़ा ऊंचाई वाली दूरी चलकर दादी के घर पहुंच सकते हैं।
फोटो में दादी अपने मकान के एक कमरे में, जिसमें वो रहती हैं, की चौखट पर दरवाजे की टेक लगाकर अकेली बैठी हैं। उनके आसपास तो क्या दूर तक भी कोई नहीं है। वो वहां घने जंगल में अकेली रहती हैं।
पहले हम दादी से दो बार उनके घर जाकर मिले हैं। इसलिए जब भी कंडोली होते हुए सेबूवाला या खरक गांव की ओर गए, दादी के बारे में स्थानीय लोगों से बात जरूर की।
यह फोटो मन में सवाल पैदा करता है।
83 साल की बूंदी देवी घने जंगल में अकेले क्यों रहती हैं। क्या वो उस घर और गांव को नहीं छोड़ना चाहती हैं, जिसमें उन्होंने अपना जीवन बिताया है।
खाली हो चुके गांव और मकान से दादी पलायन क्यों नहीं करतीं।
किसी आपात स्थिति में उनके पास खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या उपाय हैं।
कई कई दिन तक किसी से न तो बातचीत किए और न ही किसी को देखे, उनको मनोस्थिति क्या होगी।
इस आयु में सामाजिक एवं स्वास्थ्य सुरक्षा से वो इतना दूर क्यों हैं।
खंडहर मकान में किस तरह रहती होंगी 83 साल की बुजुर्ग महिला।
क्या कोई जनप्रतिनिधि दादी का हाल जानने उनके पास जाता है।
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