खोपड़ी की सलाह
अफ्रीका के किसी कबीले का शिकारी शिकार करते हुए एक विशाल पेड़ पर चढ़ गया। उसने देखा कि पेड़ की जड़ के पास एक मानव खोपड़ी रखी है। खोपड़ी ने शिकारी से कहा कि तुम अपने गांव के लोगों को पहाड़ी पार के जंगल में ले जाओ, जहां जाकर कोई भी भूखा नहीं रहेगा।
वहां खाने के लिए बहुत स्वादिष्ट फल मिलेंगे, लेकिन अपने गांव में किसी को भी यह नहीं बताना कि तुम्हें ये बात किसने बताई। शिकारी ने खोपड़ी से पूछा कि तुम यहां कैसे आए। खोपड़ी ने कहा, मेरे मुंह ने मुझे मार दिया था। कभी मैं भी तुम्हारे जैसा था। शिकारी अपने गाँव लौट आया और तुरंत सभी को बताया कि बात करने वाली खोपड़ी ने मुझे भोजन का एक क्षेत्र दिखाया है।
मुखिया ने उसे कहा, तुम झूठ बोल रहे हो। शिकारी ने कहा, तुम मेरे साथ आओ, मैं साबित कर दूंगा कि मैं जो कह रहा हूं, वह सच है। मुखिया ने कहा, अगर तुम्हारी बात झूठ साबित हुई तो तुम्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। सभी पेड़ के पास पहुंचे। शिकारी ने खोपड़ी से कहा, तुम बताओ, क्या तुमने मुझे यह नहीं बताया कि पहाड़ी पार के जंगल में खाने के लिए बहुत स्वादिष्ट फल मिलेंगे।
खोपड़ी चुप रही, उसने शिकारी की बात का कोई जवाब नहीं दिया। शिकारी ने एक बार फिर खोपड़ी से सवाल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस पर मुखिया ने शिकारी को मौके पर ही मौत के घाट उतार दिया। कुछ दिन बाद पेड़ के नीचे दो खोपड़ी थीं। पहले ने दूसरे से कहा, मैंने तुमसे कहा था न कि मैं यहां अपने मुंह की वजह से हूं। वैसे ही जैसे तुम यहां पहुंचे हो।