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जोशीमठ नगर पालिका ने प्लास्टिक कचरे से कमाए एक करोड़ से अधिक

नगरपालिका ने चारधाम यात्रा मार्ग से तीन टन से अधिक प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया

The Joshimath Nagar Palika earned more than one crore from plastic waste.

देहरादून। न्यूज लाइव

पहाड़ों के लिए आफत बन रहे प्लास्टिक कचरे को जोशीमठ नगरपालिका ने आय का साधन बना लिया है। नगरपालिका ने चारधाम यात्रा मार्ग से इन दिनों तीन टन से अधिक प्लास्टिक कचरे को एकत्रित किया है। अब तक कचरे का विपणन कर 1.02 करोड़ रुपए की आय आर्जित की है।

डोईवाला नगर पालिका इस तरह करती है कूड़े से कमाई

श्री बदरीनाथ, श्री हेमकुंट साहिब और फूलों की घाटी यात्रा के मुख्य पड़ाव जोशीमठ से पांडुकेश्वर तक सफाई का जिम्मा नगरपालिका जोशीमठ संभाले हुए है। पालिका ने बीते एक माह में पानी की ढाई लाख से अधिक बोतलें एकत्रित की हैं। अन्य प्लास्टिक कचरे को मिलाकर तीन टन प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया है। कचरे को एकत्रित कर कॉम्पेक्टर मशीन से ब्लॉक बनाकर उसका विपणन किया जा रहा है।

जोशीमठ से पांडुकेश्वर तक सफाई व्यवस्था के लिए नगरपालिका जोशीमठ द्वारा पर्यावरण मित्र तैनात किए गए हैं। वहीं, प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए 22 मजदूर तैनात किए गए हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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