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दिव्यांगों के लिए बेहतर कार्यों पर अनुश्रुति संस्था सम्मानित

देहरादून। दिव्यांग विद्यार्थियों के बीच बेहतर कार्य करने के लिए आईआईटी रूडकी की अनुश्रुति संस्था को सर्वश्रेष्ठ संस्था का पुरस्कार प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को एएनएम घोष आॅडिटोरियम ओएनजीसी में यह पुरस्कार प्रदान किया। आईवीवाई मेमोरियल इंटीग्रेटेड एजुकेशन सोसायटी की ओर से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आयोजित उत्सव में पुरस्कार वितरित किए गए।

उत्तराखंड में पहली बार आयोजित दो दिवसीय दिव्यांग टैलेंट शो (दिव्यांगोत्सव) में कई स्कूलों और संस्थाओं के बच्चों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि समय के साथ समाज एवं माता-पिता की दिव्यांगों के प्रति सोच बदली है। आधुनिक तकनीक के प्रयोगों और इनोवेशन से अध्यापको ने दिव्यांग बच्चों को हर खुशी देने का सराहनीय प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार दिव्यांगों की हरसम्भव मदद के लिए तैयार है। दिव्यांगों को बसों में आने-जाने के लिए सहायक की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए अधिकारियों को समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में विभिन्न चयन संस्थाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले दिव्यांग अभ्यर्थियों को सुविधा प्रदान करने, परीक्षा केन्द्र बहुमंजिले भवन में होने की स्थिति में दिव्यांग अभ्यर्थियों को भवन के ग्राउंड फ्लोर पर ही सीट आवंटित करने तथा परीक्षा केन्द्र जनपद मुख्यालयों में रेलवे स्टेशन अथव बस स्टेशन के पास बनाए जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार उनकी सुगमता के लिए रैम्प आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। दिव्यांगोत्सव में मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्कूलों से आए दिव्यांग छात्र-छात्राओं को चित्रकला, संगीत, ग्रुप डांस एवं अन्य प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने पर पुरस्कृत किया। इस अवसर पर एग्लो इंडियन विधायक जार्ज आईवन ग्रेगरी मैन तथा कई स्कूलों से आए दिव्यांग छात्रों के शिक्षक उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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