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रेलवे बोर्ड अध्यक्ष ने कर्मचारियों को लिखा यह पत्र

नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष अश्विनी लोहानी ने देशभर  के रेल कर्मियों को पत्र लिखकर आह्वान किया कि ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा का सर्वोच्‍च स्‍तर सुनिश्चित करने के लिए चौकसी बरतें और रेल यात्रियों में नए सिरे से विश्‍वास की भावना पैदा करें। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा पर हमेशा प्रमुखता से ध्‍यान दिया जाना चाहिए।

सभी रेल कर्मियों को भेजे पत्र में लोहानी ने रेलवे के कामकाज में चौतरफा सुधार की आवश्‍यकता पर जोर दिया ताकि लोगों की उम्‍मीदों, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को संतोषजनक तरीके से पूरा किया जा सके। भारतीय रेलवे के समर्पित श्रम बल का जिक्र करते हुए रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष ने कहा कि रेलवे के अधिकारियों और अन्‍य कर्मचारियों की ईमानदारी, समर्पण और व्‍यावसायिक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है।

इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग व्‍यक्तिगत असुविधाओं और कठिनाइयों के बावजूद यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्‍ट्र के पहिए सुरक्षित तरीके से घूमते रहें। यही कारण है कि भारतीय रेलवे हमारे देश में गतिशीलता का सर्वोच्‍च प्रतीक है। उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार, कार्य स्‍थलों में यौन शोषण और ड्यूटी पर रहते हुए मदिरा का सेवन जैसी बुराइयों से निपटने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि इन सभी सामाजिक बुराइयों से कड़ाई के साथ निपटने की जरूरत है।

उन्‍होंने रेलवे स्‍टेशनों, ट्रेनों में सफाई, परिचालन अनुपात, रेलवे कर्मचारियों के कल्‍याण, समारोहों में चमक-दमक के बारे में भी बातचीत की। देशभर में फैले भारतीय रेलवे के कर्मचारियों को पत्र लिखकर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष लोहानी ने रेलवे के 13 लाख कर्मचारियों के साथ संवाद कायम किया है। पत्र में सभी कर्मचारियों से कहा कि वे भारतीय रेलवे की गौरवपूर्ण छवि को बहाल करने के लिए जोर-शोर से कार्य करें। उन्‍होंने कर्मचारियों की ईमानदारी, समर्पण और व्‍यावसायिक क्षमताओं में भरोसा जताया है।

पत्र का सम्‍पूर्ण पाठ इस प्रकार है- प्रिय मित्रोंरेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष का पद संभाल कर मैं अपार गर्व के साथ अपनी खुशी आपके साथ बांटना चाहता हूं। यह न केवल एक बड़ी जिम्‍मेदारी है बल्कि इस महान संगठन के प्रशासिनक प्रमुख के रूप में एक चुनौती हैजो राष्‍ट्र की जीवन रेखा है। ऐसे महत्‍वपूर्ण मौके पर जब रेलवे की छवि से जुड़े गंभीर मुद्दे हमारे सामने खड़े हैंमैं अपने सभी सहयोगी रेलवे कर्मियों से उम्‍मीद करता हूं कि इस धारणा को सही तरीके से शामिल करने के लिए जी जान से सहयोग करेंगे तथा हम भारतीय रेलवे के पुराने गौरव को हासिल करने और उसे दोबारा स्‍थापित करने में सक्षम होंगे।

भारतीय रेलवे निश्चित तौर पर एक महान संगठन है। एकल प्रबंधन के अंतर्गत दुनिया में यह सबसे बड़ा नियोक्‍ता है। हम वह पहिए हैं जिस पर देश चलता है। दक्षिण में कन्‍याकुमारी से लेकर उत्तर में बारामूलापूर्व में डिब्रूगढ़ से लेकर पश्चिम में ओखा तक फैला नेटवर्क इस महान देश की समूची लंबाई चौड़ाई और इस देश के लगभग सभी नागरिकों के जीवन से जुड़ा है। रेलवे के अधिकारियों और अन्‍य कर्मचारियों की ईमानदारीसमर्पण और व्‍यावसायिक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है।

इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग व्‍यक्तिगत असुविधाओं और कठिनाइयों के बावजूद यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्‍ट्र के पहिए सुरक्षित तरीके से घूमते रहें। यही कारण है कि भारतीय रेलवे हमारे देश में गतिशीलता का सर्वोच्‍च प्रतीक है। रेलवे के साथ 41 वर्ष से अधिक समय बिताने के बादरेलवे परिवार के प्रमुख के रूप में इस नियुक्ति ने मेरे दिल की गहराइयों को छू दिया है और मैं ईश्‍वर का शुक्रगुजार हूं। एक विनम्र क्षण के अलावा इसने इस महान संगठन के कल्‍याण और उसे आगे ले जाने के लिए अपना जीवन और अंतरात्‍मा समर्पित करने के मेरे संकल्‍प को मजबूत किया है।

 रेलवे को हाल ही में कुछ दुर्भाग्‍यपूर्ण घटनाओं के कारण नुकसान पहुंचा है। इस तरह की घटनाएं अक्‍सर संगठन द्वारा रोजमर्रा किए जाने वाले अच्‍छे कार्यों को नुकसान पहुंचाती हैं। अत: हमें रेलवे के काम-काज में चौतरफा सुधार लाने का संकल्‍प लेना चाहिए ताकि हम लोगों की उम्‍मीदोंअपेक्षाओं और आकांक्षाओं को संतोषजनक तरीके से पूरा कर सकें।

सुरक्षा पर हमेशा प्रमुखता से ध्‍यान दिया जाना चाहिए। ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा का सर्वोच्‍च स्‍तर सुनिश्चित करने के लिए हमें हमेशा चौकसी बरतनी चाहिए और रेल यात्रियों में नए सिरे से विश्‍वास की भावना पैदा करना चाहिए। स्‍टेशनों और ट्रेनों में सफाई एक अन्‍य क्षेत्र है जिसकी तरफ ध्‍यान दिया जाना चाहिए जिससे हमारी छवि पर असर पड़ता है। इसी प्रकार से ट्रेनों में खान-पान (कैटरिंग) और बिस्‍तर (लिनेन) भी चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र है।

हमें कम समय में इन क्षेत्रों में मात्रात्‍मक और गुणात्‍मक सुधार लाने के लिए मिशन मोड में कार्य करना चाहिए, साथ ही इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए की ग्राहकों के संपूर्ण संतोष के लिए रेलवे में सुधार की आवश्‍यकता है। हमारे परिचालन अनुपात में पर्याप्त कमी लाने की आवश्यकता है। इसके लिए न केवल खर्च को कम करना होगा बल्कि माल ढुलाई को बढ़ाना होगा तथा आमदनी अर्जित करने के अन्‍य गैर-परंपरागत तरीकों का पता लगाना होगा ताकि राजस्‍व को बढ़ाया जा सके।  

मैंने हमेशा मानव संसाधन की सर्वोच्‍चता में यकीन किया है। मेरे लिए ग्राहक नहीं बल्कि मेरे कर्मचारी पहले आते है। मेरा दृढ़ विश्‍वास है कि संतुष्‍ट और प्रसन्‍न कर्मचारी किसी भी संगठन की सफलता के लिए एक पूर्व शर्त है और यह महान संगठन भी कोई अपवाद नहीं है। मैं उम्‍मीद करता हूं कि कर्मचारियों का कल्‍याण सभी रेलवे कर्मचारियों की प्रमुख चिंता है।  साथ ही हमें भ्रष्‍टाचारकार्य स्‍थलों में यौन शोषण और ड्यूटी में रहते हुए मदिरा के सेवन जैसी बुराइयों से निपटने की आवश्‍यकता है। इन सभी सामाजिक बुराइयों से कड़ाई के साथ निपटने की जरूरत है।

मैं व्‍यक्तिगत तौर पर गुलदस्‍तोंउपहारोंअत्‍यधिक खर्चीले समारोहोंअत्‍यधिक शिष्‍टाचार आदि के रूप में किसी भी प्रकार की चमक-दमक से बचने में विश्‍वास रखता हूं। यह हमारी प्रमुख जिम्‍मेदारियोंकठिन कार्य से हमारा ध्‍यान बांटता है और संगठन को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। हमारा ध्‍यान प्रमुख रूप से केवल बचाव पर होना चाहिए।

हमें उन प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिए जो समय बीतने के साथ इतनी जटिल हो चुकी हैं कि वह कार्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। व्‍यस्‍त रहना ही बचाव नहीं है, एक ऐसा विचार है जिसे आत्‍मसात करने की आवश्‍यकता है। मेरी अपने सभी सहयोगी रेल कर्मियों से व्‍यक्तिगत अपील है कि वे राष्‍ट्र की जीवन रेखा – भारतीय रेलवे के प्राचीन गौरव को बहाल करने के लिए श्रेष्‍ठतम प्रयास करें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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