Featuredimprovement yourself

उठो, जागो और लक्ष्य पाने तक नहीं रुको

वेदों के ज्ञाता और महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने भारत का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने लोगों को जीने की कला सिखाई। उन्होंने कई विषयों पर बहुमूल्य विचारों का ज्ञान कराया। उनके प्रेरणास्पद विचार वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। पेश हैं स्वामी विवेकानंद के कुछ अमूल्य विचार। 

  • जब तक आप अपने आप पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। 
  • उठो, जागो और अपना लक्ष्य तक पहुंचने तक नहीं रुको। 
  • ब्रह्मांड की सभी शक्तियां पहले से ही हमारी हैं। यह हम हैं, जो अपनी आंखों के सामने हाथ रखकर रोते हैं कि यहां अंधेरा है।
  • किसी की भी निंदा न करें। यदि आप किसी की सहायता के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ऐसा करें। यदि आप नहीं कर सकते हैं तो उनको शुभकामनाएं देकर अपने रास्ते पर जाने दें। 

 

  • जिस काम को जिस समय पर पूरा करने का प्रण लो, उसे ठीक उस समय पर ही करना चाहिए, नहीं तो तुम पर से लोगों का विश्वास खत्म हो जाता है। 
  • एक विचार लो और उसे अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो और इसको जियो। अपने दिमाग, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को इसमें डूबने दो, और बाकी सभी विचारों को किनारे रख दो। यही सफल होने का तरीका है। 

 

  • संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
  • जब तक जीना है, तब तक सीखना है। अनुभव ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
  • बस वही लोग जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।
  • जैसा तुम सोचते हो, वैसा हो जाओगे। यदि तुम स्वयं को कमजोर मानते हो, तुम कमजोर हो जाओगे। अगर स्वयं को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button