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भाजपा ने 69 हजार महिलाओं की पेंशन छीन ली: हरीश रावत

सोमेश्वर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत श्री बदरीनाथ धाम में पूजा अर्चना के बाद कुमाऊं दौरे पर पहुंच गए। सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र स्थित दौलाघट रामलीला मैदान में आयोजित सभा में उन्होंने पेंशन मामले में भाजपा को घेरा।

यहां “पूर्व सैनिकों एवं शहीदों के परिजनों का सम्मान समारोह” को संबोधित करते हुए पूर्व सीएम रावत ने कहा, हमारी सरकार ने बहनों और बेटियों के हित में बड़ा निर्णय लिया था, जो किसी राज्य ने नहीं लिया।

उन्होंने कहा, हमने महिलाओं के हित में कहा कि एक परिवार में दो पेंशन भी मान्य होंगी और हमारी सरकार दो पेंशन देती थी। महिलाओं को, यदि कोई बहू विधवा है, तो हमने कहा, उसको भी पेंशन मिलेगी, उसका अलग से हक है।

रावत ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोगों ने कहा, एक परिवार में एक पेंशन मिलेगी और 69000 माताओं और बहनों से पेंशन छीन ली गई।

पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर फिर से सबको पेंशन दी जाएगी। हमने अपनी बहनों और गर्भवती बहनों के लिए अतिरिक्त पुष्टाहार योजना शुरू की, इन्होंने उसको बंद कर दिया। रावत ने वादा किया कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो हम अपनी बेटियों और बहनों के लिए एक सार्वभौम पौष्टिक आहार योजना शुरू करेंगे।

वहीं केदारी बगड़ कपकोट पहुंचने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़ों व छोलिया नृत्य के साथ उनका स्वागत किया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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