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Uttarakhand Global Investors Summit: सीएम धामी ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया

एफआरआई में आठ-नौ दिसंबर को आयोजित होगा इन्वेस्टर्स समिट

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 8-9 दिसंबर को एफआरआई में आयोजित होने वाले डेस्टिनेशन उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियों को लेकर आयोजन स्थल पर की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत अभी 3 लाख करोड़ रुपये के करार किए जा चुके हैं, जबकि 44 हजार करोड़ रुपये के करारों की ग्राउंडिंग हो चुकी है।

उन्होंने कहा, राज्य में कार्य करने के लिए निवेशकों ने जो रुचि दिखाई उससे राज्य की प्रगति में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में राज्य में कार्य करने की अनेक संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों पर विशेष फोकस भी किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसे करारों को सबसे पहले प्राथमिकता दी जा रही है, जिसमें स्थानीय स्तर पर लोगों को सबसे अधिक रोजगार मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के तहत जो करार हुए हैं, उन्हें धरातल पर उतारने का कार्य तेजी से चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट में देश और विदेश के बड़े उद्योगपति भाग ले रहे हैं। हेल्थ, वेलनेस, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन, ऑटोमोबाइल, फार्मा एवं राज्य की आवश्यकतानुसार विभिन्न सेक्टरों पर फोकस किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मार्गदर्शन राज्य को निरंतर मिल रहा है। इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिए उनके मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा हर क्षेत्र में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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