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घर में इस इस तरह लाएं सकारात्मक ऊर्जा

सामान्य तौर यदि घर में या घर के आस-पास कोई ऐसी संरचना, पेड़े-पौधे, वस्तु आदि जिनसे नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है, तो वह वास्तुशास्त्र के अनुसार गंभीर वास्तुदोष माना जाता है। भारतीय वास्तुशास्त्र जिस मौलिक सिद्धांत पर काम करता है, वह है घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करना है। इन वास्तुदोषों को दूर कर घर और जीवन को बुरे प्रभावों से बचाया जा सकता है और सकारात्मक ऊर्जा को बरकार रखा जा सकता है।

  • यदि आप अपने ड्राइंगरूम में ताजे फूलों का गुलदस्ता रखते हैं या उसे सजाते हैं, तो ध्यान रखें कि ये सही समय पर बदले जाएं। हो सके तो इन्हें रोज बदलें। वास्तुशास्त्र के अनुसार, जब ये फूल मुरझा जाते हैं तो इनसे घर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ने लगती है।
  • कई बार घरों में सही चिनाई और प्लास्टरिंग न होने की वजह से कमरों की दीवारों पर सीलन पैदा होने लगती है। भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार यह शुभ नहीं माना जाता है। सीलन से बनी आकृतियां नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है। इसलिए ऐसी दीवारों को जल्द-से-जल्द ठीक करवा लें।
  • घर के आंगन में लगे पेड़-पौधे अगर सूख जाएं, तो उन्हें तुरंत हटवा दें। ये न केवल भद्दे लगते हैं, बल्कि ये पेड़ जीवन की समाप्ति को दर्शाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करते हैं।
  • इंटीरियर डेकोरेशन के लिए कुछ ऐसी पेंटिंग और कलाकृतियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो मृतप्राय पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के अवशेषों से बने होते हैं। ये सभी मृतप्राय सजावटी कलाकृतियां और वस्तुएं, शंख, सीपी, मूंगा को छोड़कर, वास्तुशास्त्र के दृष्टिकोण से शुभ नहीं माने जाते हैं। इसलिए इनका उपयोग करने बचें।
  • यदि बेडरूम की खिड़की और मकान के मैन गेट से सूखा पेड़, फैक्ट्री की चिमनी से निकलता हुआ धुआं, ट्रांसफॉर्मर आदि जैसे दृश्य दिखाई देते हों, तो इनसे से बचने के लिए खिड़कियों और दरवाजों पर पर्दा डाल दें. ऐसे दृश्य नकारात्मकता में वृद्धि करते हैं।

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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