आफत की बारिश से सौंग में बाढ़, रगड़ गांव विद्यालय में पानी भरा
सौंग किनारे स्थित कई भवनों को नुकसान पहुंचने और पानी भरने की सूचना
देहरादून। तेज बारिश से सौंग, बांदल, चिफल्डी सहित कई नदियों में बाढ़ से इनके किनारे बसे इलाकों की आफत आ गई। कुमाल्डा क्षेत्र, मालदेवता में पानी और मलबा भर गया। वहीं, टिहरी गढ़वाल स्थित राजकीय इंटर कॉलेज रगड़ गांव के सामने स्थित सौंग नदी का पुल बहने की सूचना है। इस पुल से होकर हल्द्वाड़ी, बमेंडी सहित कई गांवों के बच्चे स्कूल पहुंच रहे थे।
रगड़ गांव के इंटर कॉलेज भवन में भी पानी भर गया, इससे सौंग नदी में जल स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है,जबकि यह भवन सौंग नदी से काफी ऊंचाई पर है। सौंग किनारे स्थित कई भवनों को नुकसान पहुंचने और पानी भरने की सूचना है।
वहीं, रगड़ गांव के कुछ परिवारों को विद्यालय भवन में शरण लेनी पड़ी, जबकि विद्यालय के कुछ कमरों में पानी भरा है।
विद्यालय के शिक्षकों ने बताया, वो तेज बारिश के बाद भी विद्यालय जा रहे थे, पर रास्ते में कुमाल्डा क्षेत्र में सड़क टूटने से आगे नहीं बढ़ पाए। जब तक यह रास्ता सही नहीं हो पाता, तब तक शिक्षकों के लिए विद्यालय पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि अधिकतक शिक्षक देहरादून से ही विद्यालय पहुंचते हैं।
बताया जा रहा है, अब शिक्षकों की योजना है कि वाया हल्द्वाड़ी स्कूल जाएं, पर यह रास्ता बहुत लंबा और दुरुह है। हालांकि शिक्षक अब इसी रास्ते से जाने पर विचार कर रहे हैं। पर, हल्द्वाड़ी जाने के लिए उनको वाया डोईवाला जाना होगा, क्योंकि रायपुर- थानो मार्ग पर भी एक पुल ढह गया है।
थानो से हल्द्वाड़ी लगभग चार किमी. के कच्चे उबड़ खाबड़ रास्ते पर है। हल्द्वाड़ी गांव में ही करीब डेढ़ किमी.नीचे जाना होगा। वहां से रगड़ गांव का उबड़ खाबड़, पथरीला रास्ता, जिसमें कई गदेरे हैं, पार करने होंगे।
हल्द्वाड़ी से गंधक पानी स्रोत और वहां से सौंग का पुल पार करके सैरा गांव होते हुए स्कूल पहुंचेंगे। ऐसे में शिक्षकों को स्कूल पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
बताया जा रहा है कि शिक्षक स्थित सामान्य होने तक विद्यालय भवन में ही रहेंगे, क्योंक रोजाना इतना चलना मुश्किलभरा है।
इस विद्यालय में 265 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, जो बहुत दूर के गांवों से आते हैं। कुंड गांव की पैदल दूरी विद्यालय से 12 किमी. है, जहां से बच्चे रोजाना विद्यालय पहुंचते हैं। वहीं चिफल्डा गांव से आने वाले बच्चों को सौंग नदी ट्राली से पार करनी पड़ती है। दुर्गम श्रेणी के इस विद्यालय में अधिकतर बच्चे दूरस्थ गांवों के हैं।