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शुभ योगों के साथ पधारेंगे श्री गणपति महाराज
देहरादून। 25 अगस्त को गणेश चतुर्थी गजकेसरी सहित कई अन्य शुभ योगों के बीच मनाई जाएगी। हस्त नक्षत्र शाम तक रहेगा, जबकि इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू होगा। इसी नक्षत्र में भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। शुभ, अमृत और रवियोग का संयोग भी इस पर्व की शुभता को बढ़ाएंगे। इन योगों में की गई गणेश पूजा शुभ फलदायी रहेगी।
भूमि, भवन ज्वेलरी और वाहन खरीदारी करना भी शुभ होगा। इस बार गणेशोत्सव 11 की बजाय 12 दिन का रहेगा। दसवीं तिथि दो दिन 31 अगस्त और 01 सितंबर को रहने से यह स्थिति बनी है। इसे भी विद्वानों ने शुभ माना है। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी पर कई विशिष्ट योगों का संयोग रहेगा, जिन्हें शास्त्रों में गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए श्रेष्ठ व शुभ फलदायी होना माना गया है।
शुक्रवार को चतुर्थी पर कन्या राशि में चंद्र और गुरू के रहने से गजकेसरी योग रहेगा। यह योग पूजा व सभी कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। शुक्र का चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में होना भी चतुर्थी तिथि की शुभता में वृद्धिकारक रहेगा।
ज्योतिषियों के अनुसार चतुर्थी पर शाम 4.27 बजे तक हस्त नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र को श्रेष्ठ माना जाता है, जबकि इसके बाद इसी दिन शाम 4.28 से शुरू होने वाला चित्रा नक्षत्र चतुर्थी पर होने से सोने में सुहागा जैसा रहेगा। ज्योतिषियों का कहना है कि 31 अगस्त व एक सितंबर को दसवीं तिथि रहने से गणेशोत्सव 12 दिन का होगा। 12वें दिन 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर अमृत व रवियोग के संयोग के बनने से भूमि, भवन, वाहन व ज्वेलरी आदि की खरीद-फरोख्त करना भी उत्तम फलदायी रहेगा।
केवल पत्ते अर्पित करने से खुश हो जाते हैं भगवान गणेश
भगवान गणेश को मंगलमूर्ति कहा जाता है। इनकी उपासना से सारे विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं। संतान, शिक्षा और भाग्य के लिए भगवान गणेश की उपासना सबसे उत्तम है।गणपति की उपासना से कुंडली के अशुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं। प्रथम पूज्य गणेश को खुश करने के लिए विशेष रूप से दूब, फूल, लड्डू और मोदक चढ़ाने का विधान है लेकिन भोलेनाथ के पुत्र की कृपा केवल पत्ते अर्पित करके भी पाई जा सकती है।
हर पत्ते का अलग रंग और अलग खुशबू होती है। इनके रंग और गंध अलग-अलग ग्रहों से जुड़े होते हैं। यही पत्ते अलग-अलग मंत्रों के साथ श्री गणेश को चढ़ाए जाते हैं। खास तरीके से गणपति को अलग-अलग पत्ते अर्पित करने से मनवांछित फल मिलता है।
बुधवार या चतुर्थी को श्री गणेश को पत्ते अर्पित करें। सुबह नहाकर गणपति के सामने घी का दीपक जलाएं। फिर उन्हें मोदक का भोग लगाएं। अपनी मनोकामना के अनुसार मंत्रों के साथ अलग-अलग पत्ते गणपति को अर्पित करें। एक बार में कम से नौ पत्ते चढ़ाएं, 108 पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं।
उच्च पद प्राप्ति के लिए – ’गणाधीशाय नमः’ जाप कर भंगरैया का पत्ता अर्पित करें।
संतान प्राप्ति के लिए – ’उमापुत्राय नमः’ जाप कर बेलपत्र चढ़ाएं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए – ’लम्बोदराय नमः’ जाप कर बेर का पत्ता अर्पित करें।
कार्य की बाधा दूर करने के लिए – ’वक्रतुण्डाय नमः’ जाप कर सेम का पत्ता अर्पित करें।
मान-सम्मान, यश की प्राप्ति के लिए – ’चतुर्होत्रे नमः’ जाप कर तेजपत्ता चढ़ाएं।
नौकरी के लिए – ’विकटाय नमः’ जाप कर कनेर का पत्ता चढ़ाएं।
व्यवसाय में लाभ के लिए – ’सिद्धिविनायकाय नमः’ जाप कर केतकी का पत्ता अर्पित करें।
आर्थिक लाभ के लिए – ’विनायकाय नमः’ जाप कर आक का पत्ता चढ़ाएं।
हृदय रोग में लाभ के लिए – ’कपिलाय नमः’ जाप कर अर्जुन का पत्ता अर्पित करें।
शनि की पीड़ा को शांत करने के लिए – ’सुमुखाय नमः’ जाप कर शमी का पत्ता अर्पित करें।