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सपनों के साथ याद बनती सड़कें !

  • जे. पी. मैठाणी

सड़कें धूल, मिटटी, गारे और फिसलन से भरी
दौड़ती रही – भागती रही – भागती रही और दौड़ती रही ..
समय के साथ और कभी उसको पीछे छोड़ती हुई सड़कें !
सड़कें मंजिलों तक ले जाने का वायदा करती
रास्तों में कभी भटक जाती सड़कें !

ये क्रम कभी छोटा होता कभी बड़ा होता
सड़कें – सपनों के साथ – आपने के साथ ….
गायब हो जाती
फिर छोर से उभर आती क्षितिज की लाइन
और उस पर उभर आती धूमिल होती सड़कें !

जंगलों के बीच -विशाल दिखती शहरों में दुबक जाती सड़कें !
यादों के साथ सपने बनती और सपनों के साथ याद बनती सड़कें !
दोस्तों के साथ – स्मृति और समय के साथ लकीर बनती सड़कें !
बतियाती, फोनियाती ,भटकती और भटकाती – मंजिलों के पास
ले जाती सर्पीली सड़कें !

घरों से पलायित समाज को गाँव की पगडंडियों से जोड़ती सड़कें !
पीढ़ियों के साथ बिताये गए समय की बात सुनाती सड़कें ..
तुम कभी इतनी शांत क्यूँ हो जाती हो और कभी बेहद हल्ले से भरी क्यूँ !
तुम कभी सहमा देती ढलान पर और कभी आगोश में ले लेती !
सड़क तुम एक पूरा मनोविज्ञान हो – लक्ष्य हो – इतिहास हो और भूगोल भी !

तुम्हारी गति से अधिक भागते लोगों और समय को तुम ठोकर देती !
समझ देती हो – सिखाती हो जीवन के पाठ
प्रेम के गीत – खुशियों के मायने और पीछे छूटते समय की याद !

वर्षों से सभ्यता के विकास के साथ – तुम्हारा स्वरुप बदला
पर, सड़क तुम्हारा काम नहीं बदला तुम लोगों को जोड़ती हो
प्रेम उपजाति और पनपाती हो – मित्रों को जोड़ती हो !
सड़क तुम सड़क ही रहना – बदल मत जाना समय के फेर में !
कि,तुम्हारे बिना कई मुसाफिर अपनी मंजिलों तक पहुंचे ही ना..

वर्ष के जाने की पीड़ा के माहौल में – तुम खुशियों की शीत भरे
गीतों की जनक बन जाना
तुम पहाड़ की उष्मा – जंगलों की जीवन रेखा और दोस्तों का प्रेम बन जाना !
तुम भूलना मत तुम सड़क हो …
मानव को उसकी मंजिल तक ले जाने वाली हो तुम
सड़क !

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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