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वीडियोः ये हैं सच्चे गोसेवक

देहरादून। करीब एक माह पहले यह वीडियो बनाया था, उन युवाओं का जो वास्तव में सच्चे गो सेवक हैं। देहरादून से डोईवाला के बीच कुआंवाला में इन युवाओं ने दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल गाय की जान बचाई। ऋषिकेश और डोईवाला के रहने वाले ये युवा गाय को ऋषिकेश स्थित गोसेवा केंद्र ले गए।

12 अगस्त की सुबह का वक्त था। विश्व हिन्दू परिषद के विभाग मंत्री ओम उपाध्याय के नेतृत्व में बजरंग दल डोईवाला के अंकित राजपूत, रमन जी, वरदान, शुभम बजरंगी सड़क हादसे में घायल गाय का इलाज कराने में जुटे थे। कोई वाहन चालक गाय और बछड़े को टक्कर मारकर भाग गया था। दुर्घटना में बछड़े की मौत हो गई थी। इन युवाओं ने मौके पर पशु चिकित्सक बुलाकर गाय को उपचार कराया। इन लोगों ने मृत बछड़े का अंतिम संस्कार कराया।

ओम उपाध्याय ने बताया कि उनको किसी ने इस घटना की सूचना दी थी। वो पूरी टीम के साथ यहां पहुंचे हैं। घायल गाय को ऋषिकेश के शिवाजीनगर स्थित गोसेवा केंद्र ले जाएंगे और सेवा करेंगे। उनके सामने समस्या यह थी कि गाय को लोडर में कैसे रखा जाए, क्योंकि गाय उठ नहीं पा रही थी। सरकार बताएगी गाय के गोबर और मूत्र के फायदे

युवाओं ने गाय को लोडर में रखने के लिए नजदीक ही सड़क निर्माण में लगी जेसीबी के चालक से मदद ली। जेसीबी के पंजे में बैठाकर गाय को लोडर में रखा गया। इस दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि गाय को कोई कष्ट नहीं हो। ये युवा गोवंश की सेवा के लिए निरंतर तत्पर रहते हैं। पढ़े- अब मुझे मां कहलाने पर दुख होता है

इस घटना से कुछ दिन पहले कुआंवाला में ही गंभीर रूप से घायल गोवंश बुरी तरह तड़पकर इधर उधर दौड़ रहा था। उसकी पूंछ बुरी तरह गल चुकी थी और उससे रक्त बह रहा था। इस लाचार मूक पशु को मदद की जरूरत थी। लोगों ने बताया था कि यह पशु कई दिन से बारिश में भी ऐसे घूम रहा है। पढ़े-‘गाय’ पर सहवाग ने शेयर की एक तस्वीर

हालत यह थी कि पूंछ को कौए नोंच रहे थे, लेकिन उत्तराखंड के पशुपालन और गोसेवा आयोग की नजर इस पशु पर नहीं पड़ी। कुछ दिन बाद से यह गोवंश सड़क पर नहीं दिय़ा। यह जीवित भी या नहीं, अब इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।डोईवाला जाते समय किसी ने भाजपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता विजय बख्शी को यह सूचना दी थी। बख्शी पहले भी डोईवाला और आसपास के इलाके में गोवंश सहित अन्य पशुओं की सेवा में सहयोग करते रहे हैं। पढ़े- मां तू तो मृतशैया पर अच्छी लगती है

सूचना मिलते ही विजय दवा और चिकित्सा सामग्री लेकर कुआंवाला पहुंच गए थे। उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के कार्मिक हिमांशु अवस्थी औऱ बख्शी ने काफी प्रयास किए, लेकिन गोवंश उनकी पकड़ से दूर हो रहा था। वो उसके घाव पर दवा नहीं लगा पा रहे थे। विजय बख्शी और हिमांशु अवस्थी को प्रयास करते देख एक स्थानीय निवासी भी दवा लेकर वहां पहुंच गए थे। पढ़े- स्कूल ने बिटिया को दाखिला दिया और पिता को घर चलाने के लिए दुधारु गाय

स्थानीय लोगों ने कहा कि वो इस पशु की चिकित्सा करके उसको राहत दिलाना चाहते हैं, लेकिन कोई पशु चिकित्साधिकारी उनकी मदद कर दे। इस संबंध में हर्रावाला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता ठाकुर संजय सिंह ने बताया था कि बालावाला और रायपुर में पशुचिकित्साधिकारी हैं, लेकिन कुआंवाला में कोई तैनाती नहीं है। पढ़े-गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार: हाईकोर्ट

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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