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गुमानीवाला में प्रयास ग्राम संगठन का स्वच्छता अभियान, लोगों को जागरूक किया

पांच स्वयं सहायता समूहों का संगठन है प्रयास ग्राम संगठन

ऋषिकेश। पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन और सामाजिक संस्था प्रयास ट्रस्ट ने संयुक्त रूप से ओमविहार गुमानीवाला में स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं और स्थानीय लोगों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए जागरूक किया।

प्रयास ग्राम संगठन में गुमानीवाला क्षेत्र के शिवशक्ति स्वयं सहायता समूह, आदिदेव स्वयं सहायता समूह , आकृष्ट स्वयं सहायता समूह , प्रकृति स्वयं सहायता समूह, अभय स्वयं सहायता समूह शामिल हैं। इन स्वयं सहायता समूहों में 55 महिलाएं शामिल हैं।

 

प्रयास ग्राम संगठन की अध्यक्ष प्रभा थपलियाल ने बताया, रविवार सुबह स्वच्छता अभियान के तहत महिलाओं ने ओम विहार क्षेत्र में साफ सफाई अभियान चलाया। इस दौरान महिलाओं ने लोगों से स्वच्छता बनाए रखने, गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में इकट्ठा करने तथा बाजार में खरीदारी के लिए कपड़े का थैला इस्तेमाल करने की अपील की।

ओमविहार गुमानीवाला में स्वच्छता अभियान में शामिल प्रकृति स्वयं सहायता समूह की सदस्य।

इस अवसर पर  संगठन अध्यक्ष प्रभा थपलियाल ने कहा, यह स्वच्छता अभियान एक दिन का नहीं है, बल्कि इसको हर दिन अमल में लाना है। छोटी-छोटी पहल, जैसे कि नालियों, सड़कों या खाली प्लाट्स में कूड़ा नहीं फेंकना, पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं करना, घर का कूड़ा निर्धारित डस्टबिन में ही डंप करना, सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी नहीं फैलाना आदि के माध्यम से हम अपनी धरा को स्वच्छ बना सकते हैं। जैविक कूड़ा जैसे कि सब्जियों के छिलके, खाद्य पदार्थ, पत्तियां आदि को एक स्थान पर डंप करके बायो कम्पोस्ट भी बनाया जा सकता है।

ओमविहार गुमानीवाला में स्वच्छता अभियान में शामिल शिवशक्ति स्वयं सहायता समूह की सदस्य।

उन्होंने कहा, स्वच्छता का सीधा संबंध बेहतर स्वास्थ्य से है। हमारे आसपास का पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तो हम स्वस्थ रहेंगे। उन्होंने बताया, स्वच्छता अभियान में सभी महिलाओं का सहयोग बहुत सराहनीय रहा।

ओमविहार गुमानीवाला में स्वच्छता अभियान में शामिल अभय स्वयं सहायता समूह की सदस्य।

अभियान में रामेश्वरी चमोली, रुचि तिवारी, मीरा भट्ट, विजयलक्ष्मी नौटियाल, बिंदु गैरोला, सुबोधिनी, रोशनी पंवार, अनीता, शीला रावत, सुरुचि पंत, सुशीला पोखरियाल, संगीता जोशी, गीता पायल, पूनम कश्यप, मीरा भट्ट, नीलम गुप्ता, सुशीला रावत, सुमित्रा रयाल, रेनू आर्य, रूबी आर्य आदि शामिल रहे।

ओमविहार गुमानीवाला में स्वच्छता अभियान में शामिल स्वयं सहायता समूहों की सदस्य।

मालूम हो कि, ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गुमानीवाला के पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन का गठन किया गया है। संगठन ने गुमानीवाला में विभिन्न उत्पादों के आउटलेट की शुरुआत की है।  महिलाएं कौशल विकास के जरिए आजीविका एवं आर्थिक तरक्की की ओर कदम बढ़ा रही हैं।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर- गुमानीवाला में महिलाओं ने खोला हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का आउटलेट

स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के लिए उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण हासिल करके आजीविका के संसाधनों को विकसित किया है। समूहों से जुड़ीं महिलाएं घरों पर या किसी एक स्थान पर बैठकर भीमल और अन्य कच्चे माल से उत्पाद तैयार कर रही हैं। उत्पादों की बिक्री आउटलेट के माध्यम से करती हैं। महिलाएं प्राकृतिक रेशे भीमल से टोकरियां, मैट, लैंप, स्लीपर्स, बैग सहित अन्य उत्पाद बना रही हैं। विभिन्न तरह के अचार, पहाड़ी नमक बनाया जा रहा है। कुछ महिलाएं ऊनी स्वेटर भी बनाती हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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