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गुमानीवाला में महिलाओं ने खोला हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का आउटलेट

पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास की पहल से होगी आर्थिक तरक्की

ऋषिकेश। ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गुमानीवाला के पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन ने गुरुवार को गुमानीवाला में विभिन्न उत्पादों के आउटलेट की शुरुआत की। इस तरह महिलाओं ने कौशल विकास के जरिए आजीविका एवं आर्थिक तरक्की की ओर एक कदम बढ़ा दिया।

गुमानीवाला के पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन ने गुरुवार को गुमानीवाला में विभिन्न उत्पादों के आउटलेट की शुरुआत की।

आउटलेट का उद्घाटन गुमानीवाला की प्रधान दीपिका व्यास ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, कौशल विकास सभी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब आप कुछ सीखते हैं और तरह तरह के उत्पाद बनाते हैं, तो यह आजीविका में अहम योगदान देता है। उन्होंने महिलाओं को आउटलेट खोलने पर शुभकामनाएं दीं।

प्रयास ग्राम संगठन में गुमानीवाला क्षेत्र के शिवशक्ति स्वयं सहायता समूह, आदिदेव स्वयं सहायता समूह , आकृष्ट स्वयं सहायता समूह , प्रकृति स्वयं सहायता समूह, अभय स्वयं सहायता समूह शामिल हैं। इन स्वयं सहायता समूहों में 55 महिलाएं शामिल हैं।

गुमानीवाला के पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन ने गुरुवार को गुमानीवाला में विभिन्न उत्पादों के आउटलेट की शुरुआत की।

संगठन की अध्यक्ष प्रभा थपलियाल ने इस अवसर पर कहा, स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के लिए उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण हासिल करके आजीविका के संसाधनों को विकसित किया है। समूहों से जुड़ीं महिलाओं ने घरों पर या किसी एक स्थान पर बैठकर भीमल और अन्य कच्चे माल से उत्पाद तैयार किए हैं। उनके पास, उत्पादों की बिक्री के लिए कोई आउटलेट नहीं था। उत्पादों की बिक्री के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। यह आउटलेट आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाएगा।

उन्होंने बताया, महिलाएं प्राकृतिक रेशे भीमल से टोकरियां, मैट, लैंप, स्लीपर्स, बैग सहित अन्य उत्पाद बना रही हैं। विभिन्न तरह के अचार, पहाड़ी नमक बनाया जा रहा है। कुछ महिलाएं ऊनी स्वेटर भी बनाती हैं।

हवन सामग्री, धूपबत्तियां, मोमबत्तियां भी तैयार की जाती हैं। अब सभी के पास, इन उत्पादों की बिक्री के लिए हमारे पास आउटलेट है।

गुमानीवाला के पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन ने गुरुवार को गुमानीवाला में विभिन्न उत्पादों के आउटलेट की शुरुआत की।

संगठन की अध्यक्ष प्रभा थपलियाल ने बताया, इस आउट लेट का संचालन महिलाएं स्वयं करेंगी। हमारी योजना यहां सिलाई सेंटर चलाने की भी है। महिलाएं यहां कपड़ों की सिलाई और अन्य उत्पाद भी तैयार कर सकती हैं।

गुमानीवाला के पांच स्वयं सहायता समूहों के संगठन प्रयास ग्राम संगठन ने गुरुवार को गुमानीवाला में विभिन्न उत्पादों के आउटलेट की शुरुआत की। इस अवसर पर उपस्थित महिलाएं।

आउट लेट के उद्घाटन अवसर पर संगठन की उपाध्यक्ष रूचि तिवाड़ी, सचिव मीनाक्षी रयाल, कोषाध्यक्ष मीरा भट्ट, सहसचिव पूनम कश्यप सहित समाजसेवी रुकमा व्यास, अनिता कोटियाल, मैत्री संस्था की संस्थापक कुसुम जोशी, कल्याणी समिति की कोषाध्यक्ष पुष्पा मित्तल और समूहों की पदाधिकारी एवं सदस्य रोशनी पंवार, विजय लक्ष्मी नौटियाल, बीना नौटियाल, बबीता रावत, शशि पंत, शीला रावत, विमल नौटियाल, गीता रांगड़, अनिता बड़थ्वाल, पूनम शर्मा, संगीता जोशी, नीलम शर्मा, नीलम डोभाल, शशि डोगरा, रामेश्वरी चमोली, रीना भट्ट, मीना नौटियाल, लक्ष्मी देशवाल, सारिका देशवाल, अभिलाषा बहुगुणा, सुशीला पोखरियाल, शशि पोखरियाल, बीना बडोला, वीना बडोला, पार्वती बडोला आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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