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केदारनाथ धाम में सुशांत सिंह की स्मृति में फोटोग्राफी प्वाइंट बनाएंः महाराज

लोक निर्माण, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने समीक्षा बैठक के दौरान अफसरों को दिए निर्देश

रुद्रप्रयाग। लोक निर्माण, पर्यटन, सिंचाई व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ धाम यात्रा के सुव्यवस्थित संचालन के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा, कोई भी अधिकारी अपना फोन स्विच ऑफ नहीं रखेंगे, यदि किन्हीं कारण से फोन नहीं उठा पाते तो कॉल बैक करेंगे। जनप्रतिनिधियों के फोन को अनिवार्य रूप से रिसीव किया जाए।

उन्होंने कहा, केदारनाथ धाम में रोप-वे के साथ पुराने पैदल मार्ग को भी बनाया जाएगा। यात्रा मार्ग में यात्री शेड बनाए जाएंगे, ताकि  यात्रियों को बरसात में कोई परेशानी न हो। इसके साथ ही, मंत्री ने केदारनाथ धाम में सुशांत सिंह राजपूत की स्मृति में फोटोग्राफी प्वाइंट बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सुशांत सिंह ने केदारनाथ में बहुत अच्छी फिल्म बनाई। फोटोग्राफी प्वाइंट बनाने से लोग फोटो खिंचवाएंगे तथा बॉलीवुड भी उत्तराखंड की सुंदर वादियों की ओर आकर्षित होगा।

स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए मंत्री ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए, तीर्थयात्रियों को उचित स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही यात्रा की अनुमति दी जाए। यात्रा मार्ग व केदारनाथ धाम में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर रखने के भी निर्देश दिए। लोक निर्माण विभाग को टूटी रेलिंग ठीक कराने तथा रामबाड़ा में पुल का निर्माण शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। इस मौके पर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, विधायक भरत सिंह चौधरी, अध्यक्ष बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अजेंद्र अजय आदि उपस्थित रहे।

 

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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