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डॉ. जोशी ने नाड़ीविज्ञान चिकित्सा पद्धति से की स्वास्थ्य की जांच

उदयपुर (राजस्थान)। विख्यात योग गुरु डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी ने योग महोत्सव में नाड़ी विज्ञान के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा, शरीर की रचना में नाड़ियों का योगदान महत्वपूर्ण है। नाड़ियों का ज्ञान शारीरिक एवं मानसिक शक्ति को केंद्रित करने में सहयोग करता है। इससे आत्मिक विकास होता है। इस दौरान डॉ. जोशी ने नाड़ी चिकित्सा पद्धति से कई लोगों के स्वास्थ्य की जांच की।
 उदयपुर के नाथद्वारा में आठ जनवरी को शुरू हुए तीन दिन के योग महोत्सव के दौरान नाड़ी विज्ञान पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों व बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ नाड़ी विज्ञान पर चर्चा के दौरान डॉ. जोशी ने बताया कि हमारे पूरे शरीर में नाड़ियों का जाल बिछा है।
उन्होंने बताया, योग के संबंध में शरीर की ऊर्जा नाड़ी मार्ग से होकर प्रवाहित होती है। नाड़ी ज्ञान से शरीर में वात, पित्त, कफ दोषों की स्थिति का ज्ञान होता है।
हमारे प्राचीन ग्रंथों, वेदों, उपनिषदों, आयुर्वेद व योग शास्त्रों में नाड़ियों के महत्व एवं इनके योगदान का विस्तार से वर्णन मिलता है। उन्होंने योग की महत्ता पर भी विस्तार से बताते हुए कहा कि नियमित योग, व्यक्ति को निरोग रखता है। योग शारीरिक ही नहीं बल्कि मन एवं मस्तिष्क की शुद्धता पर भी जोर देता है।
डॉ. जोशी ने नाड़ी चिकित्सा पद्धति के बारे में विस्तार से बताया और कई लोगों के स्वास्थ्य की जांच करके उनको सलाह दी। योग गुरु डॉ. जोशी के देश विदेश में बड़ी संख्या में फॉलोअर हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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