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मुख्यमंत्री ने 31 मार्च को अंतरजनपदीय परिवहन सुविधा खुली रखने का आदेश वापस लिया

देहरादून। केंद्र सरकार के नये निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी उस व्यवस्था को वापस ले लिया है, जिसके तहत 31 मार्च को लोग एक जिले से दूसरे जिले में जा सकते थे। लॉकडाउन के दौरान 31 मार्च मंगलवार को 13 घंटे की सुबह सात से रात आठ बजे तक की इस ढील में राज्य में अंतरजनपदीय परिवहन करने की अनुमति थी।

समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 31 मार्च 2020 के लिए घोषित अपनी व्यवस्था को वापस ले लिया है। कोरोना संकटः केंद्र के राज्यों को शहरों में लोगों की आवाजाही बंद करने के निर्देश

वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी एक ट्वीट किया, जिसमें कहा गया है कि केंद्र के दिशानिर्देशों के बाद उत्तराखंड में 31 मार्च को अंतर जनपदीय परिवहन सेवा खुली रहने का आदेश वापस लिया जाता है। आप लोग जहां हैं, वहीं पर सुरक्षित रहें। आपको हुई असुविधा के लिए क्षमा चाहता हूं।

ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं पुनः विश्वास दिलाता हूं, राज्य में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई की उचित व्यवस्था है। राज्य में किसी को भी भूखा नहीं रहने देंगे। जरूरी वस्तुओं की दुकानें खुलने का समय (सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे) यथावत रखा गया है।

सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि 31 मार्च, मंगलवार को लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों को राज्य के भीतर अपने घर जाने की जो व्यवस्था की गई थी, उसे निरस्त कर दिया गया है। आज गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों में एक जिले से दूसरे जिले में मूवमेंट को भी रोके जाने  को कहा गया है। हमें देश को कोरोना से मुक्त करने के लिए और सख्ती से लॉकडाउन को लागू करना है।

उन्होंने कहा कि इससे कुछ कष्ट हो सकता है परंतु यह हम सभी के हित में है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों को गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशों की अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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