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मेहनत कीजिए पर इन्हें मत भूलिए

एक समय की बात है। एक लकड़हारा को बहुत अच्छे वेतन और सेवा शर्तों पर नौकरी मिल गई। वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था। उसके मालिक ने उसको कुल्हाड़ी दी और उसका कार्यस्थल दिखा दिया। पहले दिन उसने 18 पेड़ काटे। बॉस ने उससे कहा, बधाई हो। तुम अच्छा कार्य कर रहे हो। बॉस के शब्दों से बहुत प्रेरित होकर उसने अगले दिन कड़ी मेहनत की, लेकिन वह केवल 15 पेड़ ही काट सका।

तीसरे दिन उसने कड़ी मेहनत की कोशिश की, लेकिन वह केवल 10 पेड़ ही काट पाया। दिन प्रति दिन उसका कार्य कम होता जा रहा था। उसने सोचा कि लगता है मेरी शक्ति कम होती जा रही है। वह अपने बॉस के पास गया और माफी मांगते हुए कहा कि वह समझ नहीं पा रहा है कि यह क्या हो रहा था। बॉस ने पूछा, क्या तुम्हें याद है कि पिछली बार तुमने अपनी कुल्हाड़ी को कब तेज किया था। उसने जवाब दिया, मेरे पास कुल्हाड़ी को तेज करने के लिए समय ही नहीं था। मैं पेड़ों को काटने की कोशिश में व्यस्त रहा हूं।

हमारे जीवन भी कुछ इसी तरह हैं। हम कभी-कभी इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद की क्षमताओं और खुशियों को बढ़ाने के स्रोतों को नजरअंदाज कर देते हैं। वर्तमान की दुनिया में, ऐसा लगता है कि हर कोई पहले से ज्यादा व्यस्त है, लेकिन वह पहले से ज्यादा खुश नहीं है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि हम यह भूल गए हैं कि अपनी क्षमताओं को कैसे बढ़ाया जा सकता है।

अगर हम मेहनत कर रहे हैं, तो यह गलत बात नहीं है, लेकिन हमें व्यस्त रहने के दौरान उन महत्वपूर्ण चीजों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, जिन पर हमारा जीवन टिका है, जैसे- हमारा व्यक्तिगत जीवन, अपने परिवार को ज्यादा समय देना, कुछ बेहतर पढ़ने को समय देना, कुछ ऐसा करना जो चेहरे पर वास्तविक खुशी का भाव लाए आदि। हमें सभी को सीखने, सोचने और ध्यान करने, सीखने और खुद को विकसित करने के लिए समय चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते तो हमारी कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ेगा।                                  अनुवादितः Author: Stephen Covey
From: 7 Habits of Highly Effective People

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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