डॉ. जितेंद्र सिंह को नागसेनी और दच्छन में दो सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करना था, लेकिन उन्होंने ओडिशा में दुखद ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के सम्मान में दोनों रैलियों को रद्द कर दिया और इसके बजाय किश्तवाड़ और डोडा जिलों में जलविद्युत परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए विस्तृत बैठक बुलाई। एनएचपीसी के अध्यक्ष राजीव विश्नोई, किश्तवाड़ के उपायुक्त देवांश यादव और केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के अधिकारियों ने परियोजनाओं की प्रगति के बारे में डॉ. जितेंद्र सिंह को जानकारी दी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, किश्तवाड़ से अतिरिक्त बिजली का उपयोग न केवल यूटी के अन्य हिस्सों के लिए किया जाएगा, बल्कि अन्य राज्यों द्वारा भी इसका लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चिनाब के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का पिछली सरकारों , जिन्होंने 60-65 वर्षों तक जम्मू-कश्मीर पर शासन किया, ने उचित उपयोग नहीं किया।
उन्होंने कहा, यह किश्तवाड़ क्षेत्र को उत्तर भारत का एक प्रमुख पावर हब बनाता है। उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए अकुशल नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण का भी आश्वासन दिया और कुशल जनशक्ति आवश्यकताओं में स्थानीय प्रतिभाओं को वरीयता देने का वादा किया।
उल्लेखनीय है कि पाकल दुल परियोजना 1000 मेगावाट क्षमता वाली सबसे बड़ी परियोजना है। इसकी अभी तक अनुमानित लागत 8,112.12 करोड़ रुपए है और इसके पूरे होने की अपेक्षित समय-सीमा 2025 है। एक अन्य प्रमुख परियोजना 624 मेगावाट की क्षमता वाली किरू जलविद्युत परियोजना है। परियोजना की अनुमानित लागत रु. 4,285.59 करोड़ है और इसकी समय सीमा भी 2025 है।
किश्तवाड़ से लगभग 43 किमी दूर स्थित एक अन्य परियोजना 624 मेगावाट की क्षमता वाली क्वार जलविद्युत परियोजना है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 4526.12 करोड़ रुपये है और इसकी समय सीमा 54 महीने है। किरू जलविद्युत परियोजना के लगभग 25 किलोमीटर अपस्ट्रीम में 930 मेगावाट की क्षमता वाली एक और जलविद्युत परियोजना कीर्थाई-II जलविद्युत परियोजना है।
वहीं, 850 मेगावाट की रतले परियोजना को केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में पुनर्जीवित किया गया है। इसके अलावा, मौजूदा दुलहस्ती पावर स्टेशन की स्थापित क्षमता 390 मेगावाट है, जबकि दुलहस्ती-II जलविद्युत परियोजना की क्षमता 260 मेगावाट होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये परियोजनाएं न केवल बिजली आपूर्ति की स्थिति में वृद्धि करेंगी, जिससे केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिजली आपूर्ति की कमी को पूरा किया जा सकेगा, बल्कि इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए किया जा रहा भारी निवेश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से स्थानीय लोगों के लिए अवसर भी बढ़ाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, 2014 से पहले, किश्तवाड़ की सड़क यात्रा बोझिल थी और थोड़े से भूस्खलन पर डोडा-किश्तवाड़ सड़क अवरुद्ध हो जाती थी। लेकिन आज, जम्मू से किश्तवाड़ तक सड़क यात्रा का समय 2014 के सात घंटे के मुकाबले कम होकर अब पांच घंटे से भी कम हो गया है। इसी तरह, उन्होंने कहा, इन 9 वर्षों के दौरान, किश्तवाड़ भारत के उड्डयन मानचित्र पर आया है और केंद्र की उड़ान योजना के तहत एक हवाई अड्डे को मंजूरी दी गई है, जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागरिकों से आह्वान किया कि वे अरोमा मिशन के तहत स्टार्टअप के अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए युवाओं को प्रेरित करें, जो पहले से ही भद्रवाह में चल रहा है और इसे आजीविका के अब तक अनछुए स्रोत के रूप में देखा जाता है।-स्रोतः पीआईबी