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देहरादून के रामनगर डांडा में ट्रक से जमीन धंसी और कुआं बन गया

थानो के पास रामनगर डांडा में एक घर के सामने जमीन धंसने से करीब 40 से 50 फीट गहरा गड्ढा बन गया। परिवार के लिए आफत बन चुके इस गड्ढे का भराव नहीं किया गया तो किसी बड़े नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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मीडिया और आसपास के गांवों से लोग यहां पहुंच रहे हैं औऱ सभी में यह जानने की उत्सुकता है कि इतना बड़ा गड्ढा बनने की आखिर वजह क्या है। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर गए थे, पर अभी तक इस परिवार को यह नहीं पता चला है कि इस बड़ी समस्या का समाधान कब होगा।
रामनगर डांडा में राजेंद्र सिंह मनवाल के मकान के सामने बने इस गहरे गड्ढे को कुआं कहें तो ज्यादा बेहतर होगा। मनवाल बताते हैं कि उनका मकान लगभग 15 साल पुराना है।
उन्हें कभी महसूस नहीं हुआ कि उनके मकान की बाउंड्रीवाल से लगी जमीन एक दिन इतनी ज्यादा धंस जाएगी कि यहां कुआं बन जाएगा।
जब उनका मकान बना था, तब भी ईंटों से भरा हुआ ट्रक यहां से होकर निकला था, तब ऐसा कोई संकेत नहीं मिला। बताते हैं कि दो दिन पहले शाम को एक ट्रक भवन निर्माण सामग्री लेकर यहां से होकर आगे जा रहा था।
पास ही में एक निर्माण के लिए यह सामग्री आई थी। जैसे ही ट्रक यहां से जाने लगा कि जमीन धंसने लगी। वो तो शुक्र है कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि जमीन धंसने से कुआं बन गया। प्रशासन को सूचना दी। अधिकारी पहुंचे, मौका मुआयना किया।
मनवाल परिवार ने इस कुएं सरीखे गड्ढे को फिलहाल सुरक्षा की दृष्टि से टीन से ढंक दिया है। उसके चारों तक रस्सियां बांध दी हैं, ताकि कोई बच्चा या जानवर यहां से होकर न जा सके।
गांववालों का कहना है कि अभी यह नहीं पता कि इस गड्ढे की चौड़ाई कितनी हो सकती है। अनुमान है कि यह 40 से 50 फीट गहरा हो सकता है। ऊपर से इसकी चौड़ाई कम दिखाई दे रही है, पर गहराई में यह अधिक हो सकती है।
मनवाल बताते हैं कि उनको नहीं मालूम कि ट्रक से जमीन धंसने मात्र से इतना बड़ा कुआं कैसे बन गया। यहां पहले क्या था, कोई जानकारी नहीं है। हालांकि लोगों के अपने अपने तर्क हैं या वो अनुमान लगा रहे हैं। कोई यह मान रहा है कि यहां कोई कुआं हो सकता है, जो वक्त के साथ साथ मिट्टी से पट गया हो।
अब असली वजह क्या है, यह तो मिट्टी की जांच के बाद ही पता चलेगा, फिलहाल जरूरत है मनवाल परिवार औऱ उनके भवन की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने की।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मनवाल परिवार को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है। मनवाल कहते हैं कि अगर इस गड्ढे को नहीं भरा गया तो उनको मकान छोड़कर कहीं ओर जाना पड़ेगा। उनके लिए सबसे पहले परिवार की सुरक्षा है। ग्रामीणों ने सोमवार को प्रशासन के अधिकारियों से मिलने का निर्णय लिया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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