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देहरादून के बेहद सुंदर खरक गांव की कहानी…

वर्षों से सड़क का सपना देख रहे खरक और कंडोली के ग्रामीण

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव ब्लॉग

Kharak गांव देहरादून जिले के गडूल ग्राम पंचायत का हिस्सा है। खेती के लिहाज से अच्छी भूमि और दूर तक दिखते सीढ़ीदार खेत। प्राकृतिक नजारों की तो बात ही कुछ और है। यहां अब कुछ ही परिवार रहते हैं और कई ने रोजगार और शिक्षा के लिए पलायन कर दिया। सबसे बड़ी दिक्कत खरक गांव तक सड़क नहीं होना है। कहा जा रहा है कि सनगांव पुल से चार किमी. सड़क बनाई जाएगी, इसके लिए निशान भी लगा दिए हैं, पर पुख्ता तौर पर यह नहीं पता कि सड़क कब तक बन जाएगी, क्योंकि 73 साल के बुजुर्ग बुद्धि प्रकाश भट्ट जी कहते हैं, मेरा अधिकांश जीवन यहीं बीता, मेरा सपना है सड़क बन जाए। भट्ट जी कहते हैं, जो लोग बाहर चले गए, वो यहां आते रहते हैं।

आपको बता दें कि सनगांव पुल से लेकर कंडोली के कुछ पहले तक रास्ता बहुत खराब है, जबकि सूर्याधार झील को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने के लिए बनाने की बात जोर-शोर से की गई थी। इस खराब रास्ते पर पर्यटन कैसे आगे बढे़गा, समझ से परे है। पूरा रास्ता जोखिम से भरा है। सूर्याधार झील से कंडोली गांव तक रास्ते पर पैराफिट नहीं होने से दुर्घटना का खतरा है।

हमने कंडोली गांव से लगभग एक किमी. कच्चे पहाड़ी ढलान और ऊंचाई वाले रास्ते से होकर खरक गांव जाने का निर्णय लिया। इस इलाके को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है। ऊंचे ऊंचे हरियाली से भरे पहाड़ दिए हैं और एक नदी भी। जैसे जैसे खरक गांव की ओर ऊंचाई पर चढ़ते गए, जाखन के किनारे बसे सेबूवाला गांव का सौंदर्य बढ़ता गया। पर,. अब सेबूवाला गांव के इस सौंदर्य पर किसी की नजर लग गई। अब यहां 24 घंटे पानी नहीं बहता। मछलियों वाले तालाब सूखे पड़ गए। सेबूवाला की कहानी फिर कभी…, अभी हम जा रहे हैं खरक गांव की ओर।

देहरादून जिले के कंडोली से खरक गांव की ओर जाते बच्चे। फोटो- राजेश पांडेय

यह वही रास्ता, जिस पर हम लगभग दो साल पहले तीन बेटियों के साथ कंडोली से इठारना उनके स्कूल तक पैदल गए थे। अब इनमें दो बेटियां सपना, दीक्षा और उनका भाई अभिषेक इसी रास्ते पर छह किमी. चलकर इठारना स्कूल पहुंचते हैं। अभिषेक छह, दीक्षा नौ और सपना 11वीं कक्षा में पढ़ते हैं।

देहरादून जिले के खरक गांव निवासी बुजुर्ग किसान बुद्धि प्रकाश भट्ट ने तोड़िया की उपज को सुखाने के लिए छत पर डाला है। फोटो- सार्थक पांडेय

देहरादून शहर से लगभग 30 किमी. दूर पहाड़ का गांव खरक पहले की तरह ही शांत है, यहां अगर कुछ सुनाई देता है तो पक्षियों की चहचहाट। क्या सुंदर नजारा है सीढ़ीदार खेतों का। यहां मटर के खेत हैं। हाल ही में तोड़िया काटा गया है, जिससे खाद्य तेल निकाला जाएगा।

यहां एक में कुछ परिवार रहते हैं। वर्तमान में भट्ट जी का परिवार रहता है। भट्ट खेतीबाड़ी करते हैं। आइए उनसे आपकी मुलाकात कराते हैं…

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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