FeaturedhealthNewsUttarakhand

डेंगू को लेकर स्वास्थ्य सचिव का हरिद्वार जिले में औचक निरीक्षण

जिला और मेला अस्पताल में खामियों पर अधिकारियों को लगाई फटकार

हरिद्वार। डेंगू के खिलाफ स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार का अभियान लगातार जारी है। शनिवार को, स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार में जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और उपजिला मेला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने जनपद में डेंगू की रोकथाम के अभियान का जायजा लिया। निरीक्षण में खामियों पर स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए व्यवस्थाएं जल्द दुरूरत करने के निर्देश दिए। अस्पतालों में सफाई व्यवस्थाओं पर भी सचिव स्वास्थ्य ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।

वहीं, सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने अस्पतालों में डेंगू मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की और व्यवस्थाएं परखीं। उन्होंने सभी चिकित्सालयों में डेंगू मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था रखने, आइसोलेशन वार्ड बनाने तथा त्वरित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

यह भी पढ़ें- एम्स की सलाहः डेंगी से निपटने के लिए ये जरूरी काम कर लें

इसके बाद, स्वास्थ्य सचिव ने जिला महिला चिकित्सालय के एम.सी.एच. विंग का निरीक्षण किया और एक माह में कार्य पूर्ण करने के निर्देश कार्यदायी संस्था को दिए। उन्होंने उपजिला मेला चिकित्सालय के जिरियाट्रिक वार्ड का भी निरीक्षण किया।

स्वास्थ्य सचिव ने किया मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण
सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. आर राजेश कुमार ने हरिद्वार जनपद में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का भी निरीक्षण किया।

निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य सचिव ने कहा, यह कॉलेज भविष्य में हरिद्वार के लिए वरदान साबित होगा। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, मेडिकल कॉलेज बनने के बाद जहां स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा होगा। वहीं, मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अवसर बढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा मेडिकल कॉलेज के खुलने से आस-पास के स्थानीय लोगों के लिए कई तरह के रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

यह मेडिकल कॉलेज लगभग 67 एकड़ में फैला हुआ है। इसके निर्माण की लागत लगभग 538 करोड़ रुपये है, जिसमें से लगभग 309 करोड़ रुपये सरकार ने जारी किए हैं। 2024 के अंत तक मेडिकल कॉलेज भवन तैयार हो जाएगा।

newslive24x7

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button