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खनन से नाराज हरीश रावत बाहों पर काली पट्टी बांधकर विधानसभा भवन के बाहर धरना देंगे

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश सरकार के खिलाफ सियासी सक्रियता तेज कर दी हैं। रावत देहरादून में विधानसभा सत्र आयोजित कराने के खिलाफ हैं और उन्होंने प्रदेश सरकार पर गैरसैंण, गैरसैंणियत और उत्तराखंडियत का अपमान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्य की नदियों में अंधाधुंध खनन होने का आरोप लगाते हुए सरकार और भाजपा को घेरा है।
उत्तराखंड विधानसभा का सत्र नौ दिसंबर से देहरादून में शुरू होना है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विधानसभा सत्र देहरादून में आयोजित कराने पर विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि विधानसभा सत्र गैरसैंण में कराना चाहिए।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा है- नौ दिसंबर को विधानसभा देहरादून में बैठ रही है। इस सरकार ने सत्र के चयन में गैरसैंण, गैरसैंणियत और उत्तराखंडियत का अपमान किया है। दूसरी तरफ, उत्तराखंड को खोद-खोद करके नोचा जा रहा है। खनन, लोगों को अरबपति बनाने की मशीन बन गया है और इस राज्य के हित में खनन नहीं, बल्कि जेब भरने के लिए खनन करवाया जा रहा है।
रावत कहते हैं, इस समय मेरा मन, इन दो बातों से बहुत व्यथित है। मेरा उद्देश्य कोई सरकारी कार्य में व्यवधान डालना नहीं है, इसलिए मैं 9 दिसंबर को प्रातः 10 बजे विधानसभा के बाहरी गेट पर एकांगी/अकेले 15 मिनट धरना दूंगा और काली पट्टी अपनी बाहों पर बांधूंगा।
उन्होंने कहा, मेरा यह धरना, अंधाधुंध खनन के खिलाफ और गैरसैंण, गैरसैंणियत और उत्तराखंडियत का जो अपमान किया है उसके विरोध में है। यह मेरा प्रतीकात्मक रोष प्रकटीकरण और मेरा आत्म शुद्धिकरण भी होगा।
इससे पहले एक अन्य पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लिखते हैं- खनन-खनन, खनन उत्तराखंड में चारों तरफ नदियों-नालों में, गाढ़-गधेरों में खनन ने हाहाकार मचा रखा है।
पूर्व सीएम लिखते हैं, रामनगर, हल्द्वानी और बाजपुर में खनन से कुप्रभावित लोगों ने धरना भी दिया है, ट्रांसपोर्टर्स हड़ताल पर हैं। मजदूरों का काम सारा छिन गया है और वो काम मशीनें कर रही हैं, क्योंकि नदियों के सुधारीकरण के नाम पर सरकार ने बड़े-बड़े खनन मठाधीशों को ये काम सौंप दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आरोप लगाते हैं,  ठीक है, चुनावी वसूली भी हो रही है। भाजपाइयों की जेब भी भारी हो रही है, लेकिन राज्य के लिए ये समय बहुत कष्टपूर्ण होने जा रहा है और इस कष्ट को आगे इस बरसात के अंदर बाढ़ आदि से भी लोग झेलेंगे। इतने पुल टूट गए हैं उससे भी सरकार ने सबक नहीं लिया है। ये पुल भी भाजपा सरकार की खनन की भूख के कारण ही टूटे हैं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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