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कोरोना पर नियंत्रण के मामले में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर

  • कोविड-19 के मामले पूरे भारत में जहां औसतन 7.5 दिनों में दोगुने हो रहे, वहीं उत्तराखंड में 26.6 दिन में दोगुना हो रहे हैं
  • सामान बांटते समय लोगों के साथ फोटो न खींचेः मुख्यमंत्री

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में कोविड-19 पर नियंत्रण एवं विभिन्न व्यवस्थाओं के संबंध में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार रियायतें दी जाएं। कोविड-19 के मामले पूरे भारत में जहां औसतन 7.5 दिनों में दोगुने हो रहे हैं, वहीं उत्तराखंड में 26.6 दिन में दोगुना हो रहे हैं। इस दृष्टि से उत्तराखंड कहीं बेहतर स्थिति में है। कोरोना संक्रमण रोकने में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।

मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य, सफाई एवं पुलिस के कार्यों पर संतोष व्यक्त किया तथा प्रदेश में कोविड-19 के नियंत्रण के लिए जन सहयोग की भी प्रशंसा की। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोविड-19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कोरोना वारियर्स का माला पहनाकर, शॉल ओढ़ाकर या बुके देकर सम्मान किया जा रहा है, इसे पूर्णतः प्रतिबंधित कराया जाए। कोरोना वारियर्स का सम्मान दूर से पुष्प वर्षा से किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि लोगों को जो सामान वितरित किया जा रहा है। सामान वितरित करने वाले, लोगों के साथ फोटो ना खींचे एवं सोशल डिस्टेंस का पूरा पालन हो। छोटे व्यवसायियों एवं स्थानीय लोगों की आय का सृजन कैसे हो, इसके लिए कार्य योजना बनाई जाए। कृषि कार्यों के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अनुमति दी जाए। स्मार्ट सिटी के कार्य भी कम मैन पावर के साथ शुरू किए जा सकते हैं।

बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पवार, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, राधिका झा आदि उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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