लोमड़ी का बहाना और भेड़िये की आफत
किसी जमाने की बात है एक व्यक्ति बैलगाड़ी लेकर जा रहा था, उसमें बहुत सारी मछलियां थीं। तभी एक लोमड़ी वहां से गुजर रही थी। लोमड़ी ने मछलियों से भरी हुई बैलगाड़ी देखी तो उसके मुंह में पानी आ गया। लोमड़ी तेजी से दौड़ती हुई बैलगाड़ी से आगे आई और सड़क पर इस तरह बहाना बनाकर लेट गई कि मानो मृत हो गई हो।
बैलगाड़ी चालक ने लोमड़ी को मरा हुआ जानकर सोचा कि इसकी खाल को बेचकर पैसे कमा लूंगा। उसने लोमड़ी को उठाकर बैलगाड़ी पर पटक दिया। लोमड़ी तो किसी तरह बैलगाड़ी पर बैठना चाहती थी। उसकी इच्छा पूरी हो गई। वह खुशी खुशी बैलगाड़ी में पड़ी हुई मछलियों को खाने लगी। उसने पेट भरकर मछलियां खाईं और जब इच्छा भर गई तो बैलगाड़ी से कूदकर भागने लगी।
एक भेड़िये ने उसे बैलगाड़ी से कूदते देख लिया। भेड़िये ने उससे पूछा कि तुमने किस तरकीब से यह कमाल किया। लोमड़ी ने उसे पूरा किस्सा सुना दिया। भेड़िये ने कहा, अच्छा तो यह बात है। वह तुरंत दौड़ता हुआ बैलगाड़ी से आगे पहुंचा और सड़क पर इस तरह बहाना बनाकर लेट गया, मानो मृत हो गया है।
बैलगाड़ी चालक ने सोचा, एक और जानवर मृत पड़ा है, चलो इसकी खाल भी बेच दूंगा। वह बैलगाड़ी से नीचे उतरा और भेड़िये को उठाने का प्रयास किया।काफी प्रयास के बाद भी वह भारी भेड़िये को नहीं उठा पाया। उसने बड़ा सा बोरा निकाला और उसमें भेड़िये को डाल दिया। उसने इस बोरे को रस्सी से कसकर बांध दिया और फिर बैलगाड़ी से घसीटते हुए आगे बढ़ गया। (एसोप की कथाओं से साभार)
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