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डुग डुगी जून 2020

डुगी डुगी पत्रिका क्यों? जबकि बच्चों और बड़ों के लिए बहुत सारी पत्रिकाएं बाजार में उपलब्ध हैं, प्रिंट में भी और डिजीटल संस्करणों में भी। आपका सवाल सही है, हम इससे इनकार नहीं कर रहे।

हम बच्चों को पत्रिका के पाठक की भूमिका तक ही सीमित नहीं रखना चाहते। हमारा प्रयास है कि बच्चे पत्रिकाओं के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाएं। हम उनकी रचनात्मकता और अभिनव पहल को सबके सामने लाना चाहते हैं। उत्तराखंड का हर बच्चा, चाहे वो ग्रामीण क्षेत्र में रहता है या फिर शहरी क्षेत्र में, डुगडुगी पत्रिका में योगदान प्रदान कर सकता है। हमारे पास सीमित संसाधन हैं, इसलिए यह पत्रिका डिजीटल यानी पीडीएफ में होगी। इसको हम अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराएंगे।
हम जानते हैं कि बच्चे कविताएं, किस्से, कहानियां और बहुत सारी बातें, जो वो अपने आसपास देखते हैं, लिख सकते हैं। बच्चे अपनी चित्रकला, फोटोग्राफी, अपने खेलकूद को ज्यादा से ज्यादा लोगों के सामने ले जाना चाहते हैं। इस कार्य में अगर आवश्यकता है तो उनको एक ऐसा मंच प्रदान करने की, जिसके निर्माण में स्वयं उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो।
उनमें यह आत्मविश्वास जगाने की आवश्यकता है कि वो शुरुआत तो करें, एक दिन ऐसा भी आएगा कि वो लिखेंगे और दुनिया पढ़ेगी। हमारा उद्देश्य है कि बच्चों को रचनात्मक लेखन के निरंतर अभ्यास से जोड़ें। हम उनकी हर क्रिएटिविटी को आगे बढ़ता देखना चाहते हैं। हमारा मानना है कि यह तभी संभव होगा, जब बच्चे स्वयं किसी रचनात्मक मंच का हिस्सा बनें। उनके मन में यह विश्वास पैदा हो कि वो भी इस अभिनव पहल में समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
यह पत्रिका स्कूलों के माध्यम से बच्चों से वार्तालाप करेगी। शिक्षकों से बच्चों के लेखन, रचनात्मक गतिविधियों को एकत्र किया जाएगा। हम मानते हैं कि शिक्षकों के सहयोग के बिना हम इस पहल को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। शिक्षक ही तो बच्चों और पत्रिका के बीच की अहम कड़ी हैं। शिक्षकों से भी विनम्र निवेदन है कि उनका मार्गदर्शन पत्रिका को मिलता रहे।
हम उनकी सफलता के हर पड़ाव के साक्षी होना चाहते हैं। ऐसा तभी संभव होगा, जब हम उनके साथ होंगे। इस बात की पूरी उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि तक धिनाधिन की डुगडुगी पत्रिका अपनी जिम्मेदाारियों को निभाएगी।

DUG DUGI JUNE 2020 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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