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हड़प्पा कालीन धोलावीरा शहर विश्व धरोहर घोषित, प्रधानमंत्री ने जताई प्रसन्नता

यूनेस्को ने गुजरात के हड़प्पा युग के शहर धोलावीरा को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अवश्य जाना चाहिए, विशेषकर उन लोगों को जो इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में दिलचस्पी रखते हैं।

यूनेस्को के ट्वीट पर प्रधानमंत्री ने कहा कि “इस समाचार से बहुत प्रसन्नता हुई।

धोलावीरा एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था और हमारे अतीत के साथ हमारे सबसे महत्वपूर्ण संपर्कों में एक है। यहां जरूर जाना चाहिए,विशेषकर उन लोगों को जो इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में रुचि रखते हैं।

मैं अपने विद्य़ार्थी जीवन के दिनों में पहली बार धोलावीरा गया था और मैं उस स्थान से मंत्रमुग्ध हो गया था।

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे धोलावीरा में विरासत संरक्षण और जीर्णोद्धार से संबंधित पहलुओं पर काम करने का अवसर मिला। हमारी टीम ने वहां पर्यटन के अनुकूल बुनियादी ढांचा बनाने के लिए भी काम किया था।”

About Dholavira

Dholavira is an archaeological site at Khadirbet in Bhachau Taluka of Kutch District, in the state of Gujarat in western India, which has taken its name from a modern-day village 1 kilometre south of it. This village is 165 km from Radhanpur. Wikipedia

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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