उत्तराखंड की इस बेटी को संगीत से मिला हौसला
शादी के तीन महीने बाद पेड़ से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई थीं सविता
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
“स्कूल के समय में गीत गाती थी, पर उस समय संगीत में करिअर बनाने की बात नहीं सोची थी। मुझे गीत गुनगुनाना अच्छा लगता था। शादी के तीन महीने बाद, चारा पत्ती काटते समय पेड़ से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई। आपरेशन किया गया और डॉक्टर ने एक साल तक बेड रेस्ट की सलाह दी। उस समय गाने गुनगुनाती, मोबाइल पर गाने सुनती, जिससे मुझे काफी राहत मिली। एक तरह से समझो, मेरा दर्द कुछ कम होने लगा। संगीत दर्द को छिपाने का माध्यम बना। तभी मैंने सोचा, क्यों न संगीत सीखा जाए, संगीत के क्षेत्र में कुछ किया जाए।”
देहरादून के कंडोली गांव में रहने वालीं सविता रावत, हमारे साथ संगीत पर बात कर रही थीं। सविता का मायका टिहरी गढ़वाल जिले के चंबा के पास आराकोट है। कंडोली में एक साक्षात्कार के दौरान, 26 वर्षीय सविता हमें संगीत के क्षेत्र में अपने सफर को साझा कर रही थीं।
सविता बताती हैं, “उन्होंने शादी के बाद, चंबा में सामुदायिक रेडियो स्टेशन पर गायिकी का आडिशन दिया था, जिसमें वो सफल भी रहीं। निर्णायकों ने उनकी प्रशंसा करते हुए संगीत में तरक्की के लिए प्रोत्साहित किया था। पेड़ से गिरने के बाद वो कई दिन अस्पताल में रहीं। फिर घर में लगभग एक वर्ष तक आराम किया। वो कठिन समय अक्सर गाने सुनते हुए, गाते हुए बीता। यह समय वर्ष 2017 से लेकर 2018 तक का है।”
“उन्होंने संगीत सीखने का मन बना लिया था, क्योंकि संगीत मन को शांत रखता है और उपचार में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है, यह बात मैंने बेड रेस्ट के दौरान महसूस की।”
सविता बताती हैं, “उन्होंने ऋषिकेश के पास 14बीघा, जो कि टिहरी गढ़वाल जिले का हिस्सा है, में संगीत शिक्षक राजेंद्र सिंह रावत के मार्गदर्शन में संगीत की शिक्षा शुरू कर दी। 2019 में कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लग गया। एक साल का पाठ्यक्रम बीच में ही छोड़कर कंडोली ससुराल आना पड़ गया। मेरा बेटा अभी तीन वर्ष का है, इसलिए पढ़ाई बीच में ही छूटी है, पर कुछ समय बाद फिर से क्लासेज ज्वाइन कर लूंगी।”
“कंडोली गांव, जहां हम रहते हैं, वहां से मुनिकी रेती लगभग 25 किमी. दूर है। हमारे गांव से लगभग तीन से चार किमी. सड़क खराब है, जिस पर चलना जोखिमभरा है। ऐसी स्थिति में वहां तक प्रतिदिन जाना और आना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में पढ़ाई को जारी नहीं रख पा रही हैं, ” सविता बताती हैं।
बातचीत के दौरान सविता हमें 1990 में रिलीज गढ़वाली फिल्म रैबार के गीत की कुछ लाइनें-
“भरमैगे मेरु..सुधबुध ख्वेगे,
मन भरमैगे मेरु..सुधबुध ख्वेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
बण मा सुरे-सुर बांसुरी…बण मा सुरे सुर !!”…सुनाती हैं।
बताती हैं, “यह गढ़वाली गीत प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर ने गाया था। उनको यह गीत बहुत पसंद है।”
सविता एक और गीत, “हम उत्तराखंडी छा…” सुनाती हैं। इस गीत को प्रसिद्ध गायिका मीना राणा ने गाया है।
सविता प्रतिदिन संगीत का अभ्यास करती हैं। उन्होंने एक हारमोनियम भी खरीदी है। सविता हमें हारमोनियम पर भक्ति गीत सुनाती हैं-
“हे गोपाल गोविन्द मुरारि, हे गोपाल गोविन्द मुरारि
शरणागत हूँ बल तिहार
जाऊ तेरे चरण कमल पर वारि,जाऊ तेरे चरण कमल पर वारि”
उनका कहना है, “भले ही कितनी मुश्किलें आएं, पर संगीत की पढ़ाई को अधूरा नहीं छोड़ेंगे। उनको ससुराल से भरपूर सहयोग मिल रहा है। उनका परिवार भी चाहता है कि वो पढ़ाई करें और संगीत में कोई मुकाम हासिल करें।”