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शुभ काम से पहले करें ये काम

वास्तु का आधार सूर्य की किरणें, धरती के घूमने की गति एवं सूर्य से इसकी दिशा है। आकाश में सूर्य की स्थिति-सूर्योदय के वक्त पूर्वी क्षितिज में, दोपहर के वक्त सिर के ठीक ऊपर या सूर्योदय के वक्त पश्चिमी क्षितिज में या किसी भी अन्य मध्यवर्ती स्थिति के अनुरूप जीवन पर प्रभाव को प्राचीन काल के भारतीय ऋषि-मुनियों ने वर्गीकृत किया था। सूर्य की विभिन्न स्थितियों को कुछ कार्यों के लिए उत्तम तथा कुछ के लिए खराब माना जाता है। निम्न प्रकार के कार्यों को दिन के निश्चित वक्त में ही उत्तम माना जाता है।
बहुत सवेरे 3 से साढ़े 4 बजे के बीच के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। इसे प्रार्थना के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
प्रात साढ़े 4 से 6 बजे के बीच के वक्त को ऊषा काल कहते हैं। यही वक्त है जब सम्पूर्ण ब्रह्मांड में नवीन ऊर्जा तथा ओजस भर जाता है। यह वक्त दैनिक कार्यकलाप शुरू करने के लिए उत्तम है।
प्रात 6 से 9 बजे के वक्त को अरुण कहते हैं जब सूर्य की किरणें फैल चुकी होती हैं। यह वक्त दैनिक कार्यकलाप शुरू करने के लिए अच्छा है।
प्रात 9 बजे से 12 बजे के दौरान सूर्य का अपना राज होता है। इसे प्रथहाकाल कहते हैं। यह वक्त कोई भी पेशेवर कार्य करने के लिए उत्तम है।
12 से 3 बजे के वक्त को मध्याह्न काल कहते हैं। इस वक्त सूर्य की किरणें मददगार मानी जाती हैं। मध्याह्न काल का वक्त मजबूत निर्णय लेने के लिए उत्तम है।
4 से 6 बजे के वक्त को अपराह्न कहते हैं। माना जाता है कि इस दौरान सूर्य की किरणों में विध्वंसक शक्ति होती है। यह समय व्यायाम करने के लिए अच्छा माना गया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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