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देहरादून में ट्रेनिंग लेकर इस अफसर ने जम्मू कश्मीर की फसलों को दिलाई दुनिया में पहचान

जम्मू कश्मीर के कृषि और किसान कल्याण विभाग के निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल से खास वार्ता

देहरादून। न्यूज लाइव

कहते हैं कि कोशिश शिद्दत से हो तो आसमां में भी सुराख हो सकते हैं। यह बात साबित की जम्मू कश्मीर के कृषि और किसान कल्याण विभाग के निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल ने। तमाम झंझावतों के बीच किसानों को बेहतर मुकाम दिलाने का जुनून कामयाब रहा।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले से वास्ता रखने वाले चौधरी मोहम्मद इकबाल (Chaudhary Mohammad Iqbal) जुनूनी अधिकारियों में शुमार हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में नए प्रयोग किए। जम्मू संभाग व कश्मीर घाटी के साथ साथ लेह और कारगिल में भी तमाम प्रयास किए। यहां केसर, लहसुन, मिर्च, चावल उत्पादन एवं मार्केटिंग में उनके प्रयास रंग लाए। केसर की कीमत एक लाख से तीन लाख रुपये प्रति किलो जा पहुंची। किसानों में संपन्नता और समृद्धता आई।

देहरादून में एक कान्फ्रेंस के सिलसिले में पहुंचे निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल से वरिष्ठ पत्रकार गौरव मिश्रा ने बात की। चौधरी मोहम्मद इकबाल को जम्मू-कश्मीर में कृषि क्षेत्र के समग्र विकास और मृदा और जल संरक्षण कार्यों के कार्यान्वयन में असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठित “आईएएसडब्ल्यूसी गोल्ड मेडल अवार्ड-2023” से सम्मानित किया गया।

साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में मिट्टी और पानी के संरक्षण और प्रबंधन के लिए तमाम नवोन्मेष किए। इससे वहां पर किसानों बागवानों को फायदा मिला है। उत्पादन बढ़ने के साथ क्वालिटी बेहतर हुई। जम्मू कश्मीर भी भौगोलिक नजरिए से बहुत विविध और बड़ा राज्य है, जहां पर तरह-तरह की मिट्टी है। हर क्षेत्र में पानी की उपलब्धता भी अलग-अलग है। हमारे सामने बहुत चुनौतियां थीं। पर,हमने उन पर जीत पाई। यहां पर बहुत तरक्की हुई है। जम्मू कश्मीर का लहसुन देश और दुनिया में बिक रहा है।

वो बताते हैं, हमारे यहां उत्पादित सब्जियां यूरोपीय देशों समेत दुनियाभर में छाई हैं। जीआई टैग के कारण खुशबूदार मुश्कबुदजी चावल की कीमत 80 रुपये से तीन गुना से ज्यादा 280 रुपये पहुंच गई। लेवेंडर ऑयल, मिर्च, तमाम तरह के मसालों की दुनिया में मांग हो गई है।

चौधरी इकबाल कहते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण जम्मू कश्मीर की खेती किसानी को बहुत फायदा पहुंचा है। उन्होंने बहुत अधिक योजनाएं चलाईं और किसानों की बेहतरी के लिए बहुत काम किया है।

यहां बता दें चौधरी मोहम्मद इकबाल इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन के एलुमनाई रहे हैं। उनका देहरादून से आत्मीय जुड़ाव रहा है। उन्होंने अपने चार दशक से अधिक वक्त पुराने साथी एवं बैचमेट मुख्य तकनीकी अधिकारी सुरेश चौधरी का शुक्रिया अदा किया।

चौधरी एक बात कहते हैं कि उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है। यहां पर भी खेती किसानी और बागवानी में बहुत प्रगति संभव है। कश्मीर में जैविक खेती हो रही है। वहां पानी और जमीन महफूज हैं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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