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रिपोर्टः दुनिया में खाल से दवा बनाने के लिए हर साल कम से कम 60 लाख गधों का कत्ल

यूनाइटेड किंगडम की The Donkey Sanctuary की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया

न्यूज लाइव डेस्क

हर साल कम से कम 5.9 मिलियन यानी 59 लाख गधों को उनकी खाल के लिए मार दिया जाता है। पारंपरिक चीनी दवा बनाने के लिए गधों की खाल इस्तेमाल की जाती है, इसलिए उनका कत्ल किया जाता है। इस दवा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए गधों को मारा जाता है।

यूनाइटेड किंगडम की The Donkey Sanctuary की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।

DONKE YS IN GLOBAL TRADE रिपोर्ट के अनुसार, गधों की खाल का वैश्विक अवैध व्यापार बेहद क्रूरता और अनियमित तरीके से संचालित होता है। ऐसी दशा में खाल के इस्तेमाल के आंकड़े हासिल करना लगभग असंभव सा है। हालांकि, 2016 और 2021 के बीच पाँच वर्षों में इस दवा के उत्पादन में अनुमानित 160 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दवा निर्माण करने वालों की रिपोर्टों और वर्तमान में उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, अनुमान लगाया जा सकता है कि 2021 में खाल का अनुमानित आंकड़ा 5.9 मिलियन था और, यदि उत्पादन वर्तमान दर से बढ़ता रहा, तो 2027 तक न्यूनतम 6.8 मिलियन खाल तक पहुंच सकता है।

गधों की त्वचा से कोलेजन (collagen ) का उपयोग पारंपरिक चीन में पारम्परिक दवा का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।

कोलेजन मानव शरीर की तरह गधों के शरीर में भी पाया जाता है। यह शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है और यह हड्डियों, मांसपेशियों, त्वचा, टेंडन (Tendons) और स्नायुबंधन (Ligaments) में पाया जाता है। टेंडन संयोजी ऊतक (connective tissue) की कठोर, रेशेदार डोरियाँ होती हैं, जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ती हैं। टेंडन मुख्य रूप से कोलेजन फाइबर से बने होते हैं, जो ताकत और लचीलापन प्रदान करते हैं। ये पूरे शरीर में पाए जाते हैं, कंधे, कोहनी, कलाई, घुटनों और टखनों जैसे विभिन्न हिस्सों में मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं।

कोलेजन को अक्सर “गोंद” के रूप में जाना जाता है, जो शरीर को एक साथ रखता है। यह त्वचा को बनाए रखने, घाव भरने और स्वस्थ जोड़ों और हड्डियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोलेजन कई सौंदर्य और त्वचा देखभाल उत्पादों का एक प्रमुख घटक है, क्योंकि यह त्वचा की लोच में सुधार और झुर्रियों को कम करने में मदद करता है।

चीन में गधों की संख्या में तेजी से गिरावट के कारण, इसकी खाल के धंधे में लिप्त एजेंट अफ्रीका और दुनियाभर के देशों में कमजोर गधों और उन पर निर्भर समुदायों को निशाना बना रहे हैं।

गधों के सामने मौजूद खतरे के जवाब में, अफ्रीकी नेता अफ्रीकी देशों में खाल के लिए गधों के वध पर रोक लगाने पर जोर दे रहे हैं। यह इस क्रूर और अमानवीय व्यापार को रोकने के लिए चल रहे प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित होगा, ऐसा माना जा रहा है।

The Donkey Sanctuary पर प्रकाशित रिपोर्ट में सीईओ मैरिएन स्टील के हवाले से कहा गया है, “हर साल 60 लाख गधों का वध पशु कल्याण के प्रयासों पर आपदा की तरह है। गधे पृथ्वी पर सबसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में रहने वाले लोगों के लिए एक जीवन रेखा हैं, जहां गधों की हानि अस्तित्व पर संकट के रूप में हो सकती है।”

“गधे बहुत लंबे समय से राजनीतिक बहस से गायब हो रहे हैं। इस मुद्दे पर अफ़्रीका और ब्राज़ील में लिए गए निर्णय खाल व्यापार के पैमाने तथा क्रूरता और दुनियाभर में गधों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाते हैं।”

विश्व स्तर पर, विशेष रूप से अफ़्रीका में बहुत से लोग आजीविका, परिवहन, कृषि कार्य और भोजन जैसे आवश्यक संसाधनों तक पहुंच बनाने के लिए गधों पर निर्भर रहते हैं।

गधों की खाल की निरंतर बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अवैध रूप से खरीददारी की जाती है, चोरी किया जाता है। कई मामलों में गधों को कई दिनों तक पैदल चलाकर एक देश से दूसरे देश की सीमा में अवैध रूप से ले जाया जाता है। अंत में उनको भयानक तरीकों से मार दिया जाता है।

गर्भवती, युवा, बीमार और घायल गधों को दवा उत्पादन के लिए वध कर दिया जाता है।

इनको क्रूर तरीके से परिवहन किया जाता है। इनको नियमित रूप से पर्याप्त भोजन या पानी के बिना उच्च तापमान में कई दिनों तक पैदल ले जाया जाता है। अनुमान के अनुसार, लगभग 20 प्रतिशत गधे इस यातना के दौरान मर जाते हैं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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