शिक्षक रविन्द्र सिंह सैनी ने बच्चों को सिखाने के लिए सीखी गढ़वाली बोली
चमोली जिले में बच्चों को पढ़ाने के दौरान हो रही दिक्कत, धाराप्रवाह गढ़वाली बोलते हैं सैनी जी
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव ब्लॉग
” मेरी पोस्टिंग चमोली जिले के लंगसी गांव स्थित विद्यालय में बतौर व्यायाम शिक्षक हुई। मैं हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और गुरुमुखी तो जानता था, पर गढ़वाली बोली नहीं आती थी। लंगसी गांव में बच्चे गढ़वाली में बात करते थे। मुझे उनको पढ़ाने में दिक्कत आने लगी। मुझे लगा कि ठेठ हिन्दी में बच्चे मेरी बात को अच्छी तरह से नहीं समझ पा रहे हैं। मैंने गढ़वाली बोली सीखने का निर्णय लिया। और, मैंने बच्चों से ही गढ़वाली बोलना शुरू किया। अब धाराप्रवाह गढ़वाली में बात कर सकता हूं।”
देहरादून के राजकीय इंटर कॉलेज में व्यायाम शिक्षक सरदार रविन्द्र सिंह सैनी कहते हैं, “गढ़वाली मीठी और स्नेह की बोली है। चाहता हूं कि बच्चे गढ़वाली में बात करें। मैं भी अपने साथी शिक्षकों और स्कूल में बच्चों के साथ गढ़वाली में बात करता हूं।”
जब मैं अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ बड़ासी गांव पहुंचा तो राजकीय इंटर कॉलेज के मुख्य गेट के सामने से होकर गुजर रहे थे। मोहित जी ने बताया, यहां माजरी ग्रांट के निवासी रविन्द्र सिंह सैनी जी शिक्षक हैं और बहुत अच्छी गढ़वाली बोलते हैं। हमारे मन में सैनी जी से मुलाकात की उत्सुकता जागी। सैनी जी से मिलने विद्यालय पहुंच गए। उन्होंने बहुत उत्साह से स्वागत किया। हमने उनसे बातचीत की इच्छा जाहिर की तो सैनी जी सहर्ष तैयार हो गए।
इस विद्यालय में प्रधानाचार्य परमानंद सकलानी जी, से यह हमारी दूसरी मुलाकात थी। बेहद सौम्य व्यवहार के धनी, अनुशासन प्रिय सकलानी जी से हम पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उनके पूर्व विद्यालय टिहरी गढ़वाल जिला स्थित जौनपुर ब्लाक के दुर्गम विद्यालय रगड़ गांव स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में मिले थे।
हम स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए देहरादून के दूरस्थ गांव हल्द्वाड़ी के छात्रों के साथ उनके रगड़ गांव स्थित विद्यालय तक पैदल चले। पहाड़ का यह रास्ता कहीं ऊँचाई वाला है और कहीं सीधा ढलान। रास्ते में कई झरने हैं और सौंग नदी का किनारा।
प्रधानाचार्य सकलानी जी बताते हैं, “जब इसी साल जुलाई में इस विद्यालय में पहली बार पहुंचा तो शिक्षक रविन्द्र सिंह सैनी जी ने गढ़वाली बोली में मेरा स्वागत किया। मैं हतप्रभ रह गया, गुरुमुखी बोलने वाले शिक्षक सैनी जी बहुत अच्छी गढ़वाली बोलते हैं। सैनी जी, बहुत नेकदिल इंसान हैं और बच्चों के साथ खेलकूद गतिविधियों में पूरी मेहनत से जुटे रहते हैं। बच्चों को प्रेरित करते हैं कि वो अपनी मातृबोली में बात करें। भले ही बच्चे और अन्य भाषाओं को सीखें, पर मातृभाषा, बोली को न भूलें।”