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फूलों वाली बच्ची

एक बच्ची नियमित रूप से शहर के चौराहे पर भीख मांगती थी। कोई उसको पैसे दे देता और कोई खाने पीने का सामान। कुछ लोग ऐसे भी थे, जो उसको डांट देते। कुछ यह समझाकर कि बेटा भीख नहीं मांगते, स्कूल जाया करो, कुछ भी देने से मना कर देते। भिक्षा देना और लेना दोनों ही सही नहीं है, लेकिन बच्ची की मदद तो करनी थी। यह बात ध्यान में रखते हुए एक महिला ने उस बच्ची को कुछ पौधे दे दिए। महिला ने कहा, अपने घर के पास इन पौधों को लगाओ।

बच्ची ने उस समय तो महिला की बात पर ध्यान नहीं दिया और उन पौधों को अपने झोले में रख लिया। वह अपनी झोपड़ी में पहुंची। उसने अपने झोले को खंगाला तो उसमें पौधे मिले। उसने पौधों को झोपड़ी के पास खाली जमीन पर बो दिया। बच्ची नियमित तौर पर पौधों को पानी देती। कुछ हफ्ते बाद पौधों में फूल खिलने लगे। फूलों को देखकर बच्ची काफी खुश होती। एक दिन सुबह सोकर उठी ही थी कि उसकी झोपड़ी के सामने एक कार आकर रुकी। वह सहम गई कि उसकी झोपड़ी के पास कार वाला कौन आ गया।

उसने देखा कि कार से आईं महिला वही थीं, जिन्होंने उसको पौधे दिए थे। उन महिला को देखकर वह मुस्कराने लगी। बच्ची ने पूछा, क्या मेरे लिए और पौधे लेकर आए हो। महिला ने कहा, हां जरूर मैं आपको और पौधे दूंगी। पहले यह बताओ, उन पौधों का क्या किया, जो मैंने आपको दिए थे। बच्ची ने महिला को पौधे दिखाए, जिन पर फूल खिल रहे थे। महिला ने कहा- वाह, तुमने तो कमाल कर दिया बेटा। महिला ने बच्ची से सारे फूल खरीद लिए।  पैसे पाकर बच्ची काफी खुश हुई और उस दिन से उसने तय कर लिया कि वह भीख मांगने नहीं जाएगी।

एक दिन बाद कुछ और महिलाएं वहां फूल खरीदने आईँ। इन महिलाओं ने भी बच्ची को पौधे दिए। धीरे धीरे उसके पास बहुत सारे पौधे हो गए। सभी पर तरह तरह के फूल खिलने लगे। बच्ची ने अब घर-घर जाकर फूल बेचने शुरू कर दिए। कई लोग उससे नियमित तौर पर फूल खरीदने लगे। बच्ची ने धीरे-धीरे पैसे जमा किए और बाजार में किराये पर जगह लेकर फूलों की दुकान खोल ली। इस तरह सकारात्मक तरह से की गई मदद से भीख मांगने वाली बच्ची के जीवन में बड़ा बदलाव आ गया। कुल मिलाकर कहानी यह संदेश देने की कोशिश करती है कि एक छोटी से अभिनव पहल किसी को भी जीने की राह दिखा सकती है।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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