बकरे की सलाह
एक व्यक्ति के पास एक गधा और एक बकरा थे। वह गधे पर बहुत सारा सामान लाद कर गांव-गांव घूमता और सामान बेचता। गधा बहुत मेहनती था। उसका मालिक उससे काफी खुश था। कभी-कभी वह गधे को किराये पर देता था, ताकि कुछ कमाई कर सके। वह गधे का बहुत ख्याल रखता और उसको बकरे की तुलना में खाने के लिए अधिक चारा देता।
गधे की खातिरदारी से बकरा खुश नहीं था। वह अपने मालिक और गधे से चिढ़ता था। एक दिन बकरे ने गधे से कहा कि तुम बहुत मेहनत करते हो। इतनी मेहनत करने के बाद भी तुम्हें खाने को सूखा चारा मिलता है। ज्यादा मेहनत करोगे तो बीमार पड़ जाओगे और फिर तुम्हें घर से बाहर निकालकर सड़क पर घूमने के लिए छोड़ दिया जाएगा। गधे की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
गधे ने बकरे से पूछा कि मुझे क्या करना चाहिए। बकरे ने सलाह दी कि तुम बीमार होने का बहाना करो। इससे तुमको कुछ दिन का आराम मिल जाएगा। इसके बाद कुछ दिन ठीक रहना और फिर बीमार होने का बहाना कर लेना। ऐसे में तुम्हें बीच-बीच में आराम मिलता रहेगा। गधे ने बकरे की सलाह मान ली। सुबह मालिक ने गधे को उठाया तो वह नहीं उठा। काफी देर प्रयास के बाद भी जब वह लेटा रहा तो उसके मालिक ने कहा, शायद तुम बीमार हो गए हो। गधे ने मालिक की बात सुनी तो मन ही मन खुश हुआ। उसने समझा कि अब मालिक ने मान लिया है कि मैं बीमार हूं, इसलिए कुछ दिन आराम मिल ही जाएगा। कुछ ही देर में मालिक घर से बाहर गया और डाक्टर को बुला लाया।
डाक्टर ने गधे का चेकअप करने के बाद मालिक से कहा, तुम्हारा गधा गंभीर रोग की चपेट में आ गया है, लेकिन चिंता करने की कोई बात नहीं है। आप बकरे के गुर्दे का सूप बनाकर पिलाओ, यह ठीक हो जाएगा। गधे के बिना मालिक का काम नहीं चल रहा था। इसलिए उसने कोई देरी किए बिना बकरे को मारकर उसके गुर्दे का सूप बना डाला। गधे को बकरे के गुर्दे का सूप पिलाया गया। गधे ने समझ लिया कि अब उसका बहाना नहीं चलने वाला। वह ठीक होकर अपने मालिक के साथ गांव-गांव जाकर सामान बेचने लगा। तभी तो कहते हैं कि किसी से ईर्ष्या करके गलत सलाह नहीं देनी चाहिए। अगर किसी को गलत सलाह दी तो मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।