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गरीब व्यापारी और भुलाने वाली जड़ी

एक गरीब व्यापारी था, जो व्यापार के सिलसिले में अपने शहर से बाहर था। रास्ते में रात होने पर वह एक सराय में रुक गया। उसके पास कुछ पैसे और बेचने के लिए सामान था। उसने सराय की मालकिन से कहा कि आप मेरे लिए डिनर बना दीजिए, मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं। सराय की मालकिन लालची थी। उसने सोचा कि किसी तरह व्यापारी का पैसा और सामान हजम कर जाए।

उसने व्यापारी के लिए डिनर बनाने की तैयारी शुरू की। उसने अपने पति से कहा, क्यों न हम इस व्यापारी का सारा सामान और पैसे हड़प लें। वैसे भी यह कुछ नहीं कर पाएगा। यह अपने घर से बहुत दूर है। उसके पति ने कहा, इस व्यापारी का सामान हड़पना इतना आसान नहीं है, जितना कि तुम समझ रही हो। सराय की मालकिन ने कहा, फिर क्या करें। तुम कोई उपाय बताओ।

कुछ देर बाद उसका पति एक जड़ लेकर आया और उससे कहा, तुम इस जड़ी बूटी को व्यापारी के खाने में मिला दो। जो भी इस जड़ी को खाता है, सबकुछ भूल जाता है। खाने में मिली जड़ी खाकर व्यापारी अपना सामान भूलकर यहां से चला जाएगा। उसके जाने के बाद उसका सारा सामान हमारा हो जाएगा। सराय की मालकिन को यह सुझाव पसंद आया। उसने व्यापारी के डिनर में जड़ी मिला दी।

व्यापारी ने भोजन किया और धन्यवाद कहते हुए सोने चला गया। सुबह होने से पहले ही व्यापारी ने सराय छोड़ दी और अपना सामान लेकर चला गया। नींद खुलने पर सराय की मालकिन ने उसके रूम में जाकर देखा तो परेशान हो गई। व्यापारी अपना सामान लेकर वहां से जा चुका था। उसने अपने पति से कहा, उस जड़ीबूटी ने कोई कमाल नहीं किया। व्यापारी अपना सामान लेकर गायब हो गया।

सराय मालकिन से उसके पति ने कहा, जड़ी बूटी ने अपना कमाल दिखा दिया है। व्यापारी एक चीज भूल गया। सराय मालकिन ने कौतुहल से पूछा, क्या भूल गया व्यापारी। उसके पति ने कहा, सराय में रुकने और खाना खाने का बिल देना भूल गया व्यापारी। वह पैसा देना भूल गया और सुबह होने से पहले ही अपना सामान लेकर चला गया। Asian folktales

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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