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उत्तराखंड में जन्नतः ट्रेकिंग के लिए चले आइए चाईशिल

मनोज ईष्टवाल की रिपोर्ट

त्तरकाशी जनपद के आराकोट क्षेत्र की बंगाण पट्टी के मौन्ड़ा गांव के शीर्ष में चाईशिल की हिमालयी कम बर्फ़ वाली चोटी के पार हिमाचल प्रदेश का डोडाक्वार इलाका है, जिसे ट्रेकर्स जन्नत मानते हैं। हिमाचल के शिमला जिले के डोडाक्वार, रोहडू, चीड़गांव, डोडरा घाटी (चाईशिल) देश एवं विदेशों के पर्यटकों के लिए जहां शानदार सैरगाह मानी जाती है, वहीँ उत्तराखंड राज्य इसे पर्यटन मैप में शामिल कर सुख की नींद सो गया है। चाईशिल में लम्बे चौड़े बुग्याल हैं, जिसमे ट्रेकर्स या पर्यटक मौन्डा गांव से 8 या 10 किमी. ट्रेक करके यहाँ की आबोहवा का लुत्फ उठा सकते हैं। चाईशिल में ही बड़ा तालाब है, जो लगभग 95560 फीट की ऊंचाई पर है, जिसे सरूताल कहते हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले मौन्ड़ा गांव के शीर्ष में स्थित है खूबसूरत पर्यटक स्थल चाईशील। फोटो- मनोज ईष्टवाल
उत्तरकाशी जिले के आराकोट क्षेत्र में स्थित मौन्ड़ा गांव।फोटो- दिनेश कंडवाल
मौन्ड़ा गांव का शानदार नजारा। फोटो- मनोज ईष्टवाल
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले मौन्ड़ा गांव से होकर जाता है खूबसूरत पर्यटक स्थल चाईशील का ट्रेक। फोटो- मनोज ईष्टवाल
उत्तरकाशी जिले मौन्ड़ा गांव के शीर्ष में है खूबसूरत पर्यटक स्थल चाईशील। फोटो- मनोज ईष्टवाल

उत्तरकाशी जिले मौन्ड़ा गांव के शीर्ष में स्थित है खूबसूरत पर्यटक स्थल चाईशील। फोटो- मनोज ईष्टवालचाईशिल से हम गजू मलारी के गांव दूणी-भितरी भी एक दिन के ट्रेक में पहुँच जाते हैं। 65 परिवारों की ग्राम सभा मौन्ड़ा, डोगरी, खख्वाडी ने चंद सालों से अब अन्य फसलों पर ध्यान देना छोड़ दिया है, बल्कि अब यहाँ के सभी ग्रामीण सिर्फ सेब उत्पादन में लगे हैं। गांव के भारत सिंह चौहान बताते हैं कि पहले गेहूँ, दाल, आलू अदरक आदि उगाया करते थे, लेकिन संसाधन नहीं होने के कारण अक्सर फसल सड़ जाती थी, इसलिए किसानों को फायदा कम व घाटा ज्यादा उठाना पड़ता था। अब पिछले 10-15 साल से जब सेब उत्पादन शुरू किया है, तब से हर किसान हर साल लगभग 3 से 25 लाख तक के सेब बेच देते हैं।

यहां के लोगों का मानना है कि अगर मौन्ड़ा गांव से ट्रेकर्स चाईशिल ट्रेक करें और सरकार इसे विकसित करे तो तय मानिए कि इस क्षेत्र के कई युवाओं को रोजगार मिलना सरल हो जाएगा। वे यहां से चाईशिल, डोडाक्वार, दूणी-भितरी, मोरी-नैटवाड तक के खूबसूरत बुग्यालों, वाइल्ड लाइफ की सैर कराकर पर्यटकों के लिए इस क्षेत्र को बेहतरीन पर्यटन स्थल बना देंगे। लेकिन इसमें सरकार की इच्छा शक्ति आवश्यक है।

एसडीएम शैलेन्द्र नेगी के साथ समाजसेवी रतन असवाल, कांग्रेस प्रवक्ता विजयपाल रावत, देहरादून डिस्कवर के सम्पादक दिनेश कंडवाल, टीवी लाइव के ब्यूरो चीफ़ मनोज इष्टवाल सहित राजस्व महकमे के कई अन्य लोगों ने इस क्षेत्र के कई गांवों (बलावत, चिंवा, जागटा, मौन्ड़ा इत्यादि का भ्रमण कर यहाँ के लोगों की समस्याएं जानीं। यह पहला अवसर था जब किसी एसडीएम ने गांव गांव जाकर बैठकें की हों । स्कूलों में पढ़ाई देखी।

उप जिलाधिकारी शैलेन्द्र नेगी ने बलावट के ग्रामीणों से कहा कि चाईशिल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सिर्फ वही नहीं, बल्कि संयुक्त सचिव पर्यटन डीएस चौहान व जिला पर्यटन अधिकारी युद्ध स्तर पर इस सम्बन्ध में कार्य कर रहे हैं। ताकि चाईशिल सहित उत्तरकाशी जिले के अन्य उन उपेक्षित स्थानों को भी विकसित किया जा सके, जो साहसिक, धार्मिक व अन्य पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 

एक दिन जरूर बिताइए उत्तराखंड के इस बायो टूरिज्म पार्क में

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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