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पानी के अणु को अलग करने की नई विधि की खोज

  • भविष्य में ऊर्जा के लिए उपयोग किया जा सकता है हाइड्रोजन
ह्यूस्टन


पानी दो तत्वों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यौगिक है। यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के भौतिकविदों ने पानी से उसके तत्वों को अलग करने का एक नया तरीका निकाला है। यह तरीका भविष्य में स्वच्छ हाइड्रोजन ईंधन तैयार करने का प्रभावी तरीका हो सकता है।

यूनिवर्सिटी ने विज्ञप्ति में बताया कि यह खोज पानी से हाइड्रोजन निकालने की प्राथमिक बाधाओं में से एक को दूर करती है। इस दल के सदस्यों में से एक पाउल सी डब्ल्यू चू ने कहा कि हाइड्रोजन सबसे स्वच्छ प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है। अगर किसी उत्प्रेरक की सहायता से पानी में ऑक्सीजन के मजबूत बंध से हाइड्रोजन को अलग करे तो पानी हाइड्रोजन का सबसे प्रचुर स्रोत हो सकता है। पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग करने के लिए प्रत्येक तत्व के लिए दो प्रतिक्रिया की जरूरत होती है।’ ऑक्सीजन के हिस्से के समीकरण के लिए प्रभावी उत्प्रेरक को प्राप्त करना कठिन होता है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने अब इसे प्राप्त कर लिया है।
यह उत्प्रेरक लौह मेटाफॉस्फेट और एक संवहनी निकेल फोम प्लेटफॉर्म का बना होता है। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक इन पदार्थों का मिश्रण मौजूदा समय के समाधान से ज्यादा प्रभावी और कम खर्चे वाला है। यह परीक्षण में बहुत ज्यादा टिकाऊपन भी दिखाता है क्योंकि यह 20 घंटे और 10,000 चक्रों के बाद भी बिना किसी प्रतिक्रिया के संचालित होता है। इस नए तरीके का इस्तेमाल करने का मतलब यह है कि अब बिना कार्बन उत्सर्जन के ही हाइड्रोजन उत्पादित किया जा सकता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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