नेवला की कहानी
एक महिला ने घर में नेवला पाला हुआ था। महिला को नेवले पर बहुत विश्वास था और वह उससे बहुत स्नेह करती थी। एक दिन महिला अपने छह माह के बच्चे को घर में सोता छोड़कर पड़ोस में ही किसी काम से गई थी। जब वह वापस लौटी तो घर के बाहर उसने नेवले को बेहोश पड़ा देखा। उसके मुंह पर रक्त लगा था।
यह नजारा देखकर महिला सदमे में आ गई। उसने मौके के हालात देखते हुए सोचा कि नेवले ने उसके बच्चे को मार दिया है। उसने बदला लेने के लिए पास ही रखा बड़ा पत्थर उठाया और बेहोश पड़े नेवले पर वार कर दिया। पत्थर के वार से नेवला वहीं ढेर हो गया। अब महिला ने तेजी से कमरे में प्रवेश किया तो वहां का दृश्य देखकर उसको राहत तो मिली पर गुस्से में की गई घटना पर उसे बहुत दुख हुआ।
उसका बच्चा बिस्तर पर लेटे हुए खेल रहा था। महिला ने आगे बढ़कर देखा तो वहां फर्श पर रक्त पड़ा था। नजदीक ही एक काला सांप मृत पड़ा था। महिला को समझते देर नहीं लगी कि जिस नेवले को उसने मौत के घाट उतारा है, उसने तो उसके पुत्र की रक्षा करने के लिए सांप को मारा था, इसीलिए उसके मुंह पर रक्त लगा था। महिला को नेवले को मार देने का काफी दुख हुआ। वह पश्चाताप करते हुए कह रही थी कि अगर मैंने गुस्से पर काबू पाकर पहले घटना के बारे में जान लिया होता तो पुत्र की जान बचाने वाले जीव को नहीं मारती। इसलिए किसी भी घटना से दुखी होकर अपना होश खो देने की जरूरत नहीं होती।