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Magical science folktales: पेड़ अपने पत्ते क्यों गिरा देते हैं, सूरजमुखी का फूल सूरज की तरफ़ क्यों मुड़ता है ?

बच्चों के लिए विज्ञान की जादुई कहानियाँ

Magical science folktales: कहानियों से सीखें विज्ञान!

क्या आपने कभी सोचा है कि पेड़ अपने पत्ते क्यों गिरा देते हैं या सूरजमुखी का फूल सूरज की तरफ़ क्यों मुड़ता है? आइए, हम आपको कुछ ऐसी जादुई कहानियाँ सुनाते हैं, जो हमारे आसपास के रहस्यों को खोलेंगी।

1. चाँद पर बूढ़ी अम्मा की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक बूढ़ी अम्मा रहती थीं, जो बहुत गरीब थीं। एक दिन, गाँव में सब लोग उत्सव मना रहे थे, पर किसी ने अम्मा को उत्सव में नहीं बुलाया। अम्मा उदास थीं। तभी, चाँद देवता वहाँ से गुज़रे। उन्हें अम्मा पर बहुत दया आई। उन्होंने अम्मा को अपने साथ ले लिया, ताकि वे कभी दुखी न रहें।

आज भी जब हम चाँद को देखते हैं, तो हमें लगता है कि वहाँ एक बूढ़ी अम्मा चरखा कात रही हैं।

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तो क्या है इसके पीछे का सच?

Magical science folktales: बच्चों, यह एक सुंदर कहानी थी। लेकिन सच में, चाँद पर कोई बूढ़ी अम्मा नहीं रहती हैं। चाँद पर जो काले धब्बे हमें दिखते हैं, वे वास्तव में बड़े-बड़े गड्ढे और पहाड़ हैं। ये गड्ढे करोड़ों साल पहले उल्कापिंडों के टकराने से बने थे और चाँद पर हवा न होने के कारण ये आज भी वैसे ही दिखाई देते हैं।

2. सूरजमुखी का सबसे अच्छा दोस्त

एक सुनहरे रंग का फूल था, जिसका नाम सूरजमुखी था। उसे बहुत बुरा लगता था कि वह बाकी फूलों की तरह एक जगह नहीं रह सकता, बल्कि उसे हमेशा सूरज का पीछा करना पड़ता था। वह सुबह पूर्व की ओर मुड़ता और शाम को पश्चिम की ओर। एक दिन सूरज ने उससे कहा, “मेरे प्यारे दोस्त, तुम मेरे सबसे खास हो। तुम्हें मेरी रोशनी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, इसीलिए मैं तुम्हें अपनी तरफ़ खींचता हूँ।”

तब सूरजमुखी को समझ आया कि वह सूरज का सबसे अच्छा दोस्त है और उसे अपनी इस खूबी पर गर्व हुआ।

तो क्या है इसके पीछे का सच?

बच्चों, सूरजमुखी का फूल सच में सूरज की दिशा में घूमता है। इस वैज्ञानिक क्रिया को हेलियोट्रॉपिज़्म कहते हैं। यह फूल ऐसा इसलिए करता है क्योंकि उसकी कोशिकाओं में एक खास हॉर्मोन होता है। सूरज की रोशनी पड़ने पर यह हॉर्मोन एक तरफ़ इकट्ठा हो जाता है और दूसरी तरफ़ की कोशिकाओं को ज़्यादा तेज़ी से बढ़ाता है, जिससे फूल उस तरफ़ झुक जाता है जहाँ धूप होती है।

3. पत्तों की नींद

एक घना और हरा-भरा पेड़ था, जिसके पास बहुत सारे हरे-भरे पत्ते थे। जब पतझड़ का मौसम आया और ठंड बढ़ने लगी, तो पेड़ ने पत्तों से कहा, “मेरे दोस्तों, अब हमें सोने का समय है। मैं तुम्हें हरा रखने के लिए अपनी ताक़त इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे सर्दी से खुद को बचाना है।”

पत्ते समझ गए और धीरे-धीरे उन्होंने अपनी हरी पोशाक उतार दी। वे पीले, नारंगी और लाल हो गए और फिर हवा के साथ धरती पर गिरकर सो गए। जब बसंत आया, तो पेड़ ने नई हरी पोशाक पहनी और उस पर फिर से ताज़े पत्ते आ गए।

तो क्या है इसके पीछे का सच?

बच्चों, पेड़ अपने पत्ते इसलिए गिराते हैं क्योंकि सर्दियों में उन्हें पर्याप्त धूप और पानी नहीं मिलता। पत्तों का हरा रंग क्लोरोफिल नामक पदार्थ के कारण होता है, जिसे बनाने के लिए सूरज की रोशनी ज़रूरी होती है। जब धूप कम हो जाती है, तो पेड़ क्लोरोफिल बनाना बंद कर देते हैं और पत्ते अपना रंग बदलकर गिर जाते हैं। यह पेड़ का खुद को सर्दी से बचाने का एक तरीका है।

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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