
ऋषिकेश। 04 अप्रैल, 2025
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश में “रोबोटिक नी-सर्जरी सप्ताह” का आयोजन किया गया। इस दौरान अस्थि रोग विभाग ने अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीक से 16 घुटनों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पंकज कंडवाल और ऑर्थोप्लास्टी यूनिट प्रमुख प्रोफेसर रूप भूषण कालिया के मार्गदर्शन में चिकित्सकीय टीम ने इन सर्जरी को किया।
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि रोबोटिक तकनीक पारंपरिक घुटना प्रत्यारोपण की तुलना में अधिक सटीकता, सुरक्षित परिणाम और तेज रिकवरी सुनिश्चित करती है। यह तकनीक 3D इमेजिंग और कंप्यूटर असिस्टेंस के जरिए घुटने का बेहतर संरेखण (alignment) और लिगामेंट बैलेंसिंग प्रदान करती है, जिससे मरीजों को दीर्घकालिक लाभ मिलता है।
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने इस आयोजन को ऐतिहासिक करार देते हुए अस्थि रोग विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा, “इस तरह की उन्नत तकनीक को आम जनता तक पहुंचाना चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। AIIMS ऋषिकेश सर्वोत्तम चिकित्सा सेवाएं देने के लिए हमेशा नई तकनीकों को अपनाने को तत्पर है। संस्थान भविष्य में रोबोटिक तकनीक को स्थायी रूप से अपनाने की योजना बना रहा है, ताकि मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।”
अस्थि रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पंकज कंडवाल ने बताया कि इस विशेष सप्ताह में उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10 मरीजों को यह सुविधा दी गई। इन सर्जरी को बिना किसी अतिरिक्त लागत के किया गया, जिससे मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा मिली।
आर्थोप्लास्टी यूनिट प्रमुख प्रोफेसर रूप भूषण कालिया ने रोबोटिक घुटना प्रत्यारोपण की कार्यप्रणाली पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक पारंपरिक सर्जरी से अधिक सटीक परिणाम देती है और मरीजों के लिए स्वास्थ्य लाभ को बढ़ाती है।