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ऋषिकेश के सीनियर सिटीजन ने गंगा में छलांग लगाकर बचाई पिता पुत्र की जान

“जब मैं छोटा था, तब हरकी पैड़ी पर स्नान के समय गंगा में बहने लगा था, तब किसी ने मेरी जान बचाई थी। वो दिन मुझे याद आ गया, जब कुछ दिन पहले ऋषिकेश में त्रिवेणीघाट के पास एक बच्चा, यही कोई 13-14 साल का होगा, गंगा में बहने लगा था। उसके पिता उसको बचाने के लिए गंगा में कूद गए थे, पर वो भी तेज बहाव में आ गए। जब बच्चे की आवाज सुनी तो मैंने बिना कुछ सोचे समझे गंगाजी में छलांग लगा दी। किसी तरह, बच्चे को बाहर लाए और फिर पिता को सकुशल बचा लिया।”

ऋषिकेश के गंगानगर क्षेत्र में रहने वाले 62 वर्षीय व्यावसायी रमेश अरोड़ा रेडियो ऋषिकेश से एक साक्षात्कार में 22 जून 2023 की उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जब उन्होंने दो लोगों की जान बचाई। उनका साफ-साफ कहना है, “मैं कौन होता हूं किसी की जान बचाने वाला, यह कार्य तो ईश्वर करते हैं, वो ही सबकुछ कराते हैं।”

बताते हैं,  “वो बालक मेरे पास आया और आभार जताने लगा। मेरी आंखें नम हो गईं। मैं तो ईश्वर का शुक्र करता हूं, उन्होंने बच्चे और उसके पिता को सुरक्षित बचा लिया। मैं तो केवल एक माध्यम हूं।”

रमेश अरोड़ा रोजाना सुबह, साढे़ चार बजे उठते हैं और गंगा किनारे मरीन ड्राइव पर वॉक करते हैं। रोजाना लगभग पांच किमी. पैदल चलते हैं। इसके बाद घर में स्नान करने के बाद सुबह करीब सात बजे त्रिवेणी घाट पर पहुंचते हैं। यहां मां गंगा की पूजा अर्चना करते हैं और फिर घर लौटकर श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर में ध्यान लगाते हैं। यह उनका रूटीन है।

एक सवाल पर उनका कहना है, “मेरा बचपन ऋषिकेश में ही बीता है। हम गंगाजी में नहाते, तैरते बड़े हुए हैं। मैंने और अन्य साथियों ने त्रिवेणीघाट के आसपास खूब तैराकी की है। यहां आसपास नदी काफी गहरी है। लोगों को गंगा में सुरक्षित स्थानों पर स्नान करना चाहिए। उन्हीं जगहों पर जाएं, जहां स्नान करने की अनुमति है। गंगा जी में ज्यादा आगे तक बढ़कर स्नान नहीं किया जाए।”

उनका कहना है, “प्रशासन को उन स्थानों पर निशान या सूचना बोर्ड लगाने चाहिए, जहां पानी गहरा है। जल पुलिस की नियमित तैनाती की जाए। वो स्वयं लोगों को सचेत करते रहे हैं कि सुरक्षित स्थानों पर ही स्नान करें। स्नान वाले स्थानों पर सांकलें लगी हों, ताकि लोग सांकल पकड़कर सुरक्षित रूप से स्नान कर पाएं।”

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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