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पहाड़ में रोजगार की राह बनाएगा पिरुल

देहरादून। पहाड़ में चीड़ के घने वनों से अब रोजगार की राह तैयार की जाएगी। पिरुल से तारपिन ऑयल और इसके कचरे से बायो फ्यूल बनाने के लिए भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आगे आया है। इसको लेकर उत्तराखंड सरकार और आईआईपी के बीच सैद्धांतिक सहमति हो गई है। ग्राम पंचायतों को जंगलों से पिरुल इकट्ठा करने का काम दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में बुधवार को सीएम आवास में उत्तराखंड सरकार और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के बीच पिरूल से तारपिन ऑयल और उसके कचरे से बायोफ्यूल तैयार करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बनी। इसके लिए शीघ्र ही एमओयू किया जाएगा।

एमओयू में मुख्य सचिव एस रामास्वामी व निदेशक आईआईपी डॉ.अंजन रे हस्ताक्षर करेंगे। राज्य के आठ पर्वतीय जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी एवं उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे। पिरूल इकट्ठा करने वालों को इन्सेटिव भी दिया जाएगा। इसके लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

तारपिन ऑयल व बायोफ्यूल का औद्योगिक क्षेत्र में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने का एक प्रयास है। इससे गर्मियों में पिरूल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। जंगल और जीव जन्तुओं का भी संरक्षण होगा। पढ़ें- चीड़ की पत्तियों से कागज बनवाएगी सरकार 

उन्होंने कहा कि शुरुआत में रोजाना 40 टन पाइन निडिल की आवश्यकता पड़ेगी, जिसे पंचायतों और गांवों से खरीदा जाएगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। उद्योगपति महेश मर्चेन्ट ने बताया कि इसके लिए शीशमबाड़ा में प्लान्ट बनाना प्रस्तावित है। इस अवसर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड स्टेट सेन्टर फॉर पब्लिक एंड गुड गवर्नेन्स उमाकांत पंवार, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा भी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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