नई दिल्ली। न्यूज लाइव ब्यूरो
डॉक्टरों की एक टीम ने पांच घंटे तक चले हृदय प्रत्यारोपण ऑपरेशन से 13 वर्षीय लड़की को नया जीवन प्रदान किया, जो गंभीर कार्डियोमायोपैथी के कारण वेंटिलेटर पर थी। इस बालिका को 47 वर्षीय स्कूल शिक्षक से डोनर हार्ट मिला, जो इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म के फटने के कारण लगातार ब्रेन हेमरेज से पीड़ित थे और उन्हें अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था।
केरल में बाल चिकित्सा ऑर्थोटोपिक हृदय प्रत्यारोपण ऑपरेशन श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी- Sree Chitra Tirunal Institute for Medical Sciences and Technology (SCTIMST) में किया गया, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक स्वायत्त संस्थान है। केरल राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (के-सोट्टो) –Kerala State Organ and Tissue Transplant Organization (K-SOTTO) ने केरल सरकार की अंग आवंटन नीति (Organ allocation policy of the Government of Kerala) के अनुसार एससीटीआईएमएसटी को अंग आवंटित किया था।
हृदय प्रत्यारोपण ऑपरेशन बहुत महंगे हैं और बाल चिकित्सा हृदय प्रत्यारोपण तो और भी दुर्लभ हैं, क्योंकि बाल चिकित्सा हृदय की उपलब्धता सीमित है। इस कारण हृदय रोगों के लिए ऐसा उपचार कराना कई लोगों के लिए तो और भी दुर्लभ हो जाता है जो जीवन की ख़तरनाक परिस्थितियों में भी इतना खर्च नहीं उठा सकते हैं।
इस ऑपरेशन के साथ, श्री चित्रा उन सरकारी अस्पतालों के समूह में शामिल हो गया, जिनमें ऐसी उपचार सुविधा सुलभ है।
आईसीएमआर ने एससीटीआईएमएसटी में व्यापक ‘हार्ट फैलोर’ कार्यक्रम स्थापित करने में मदद की थी, और संस्थान को पिछले साल हृदय प्रत्यारोपण के लिए लाइसेंस प्राप्त हुआ था। त्रिशूर के चावक्कड़ के 13 वर्षीय बच्चे की दयनीय स्थिति थी, जो पिछले दो महीनों से आईसीयू में ही भर्ती था, जिसने एससीटीआईएमएसटी अस्पताल को एक डोनर की तलाश करने के लिए प्रेरित किया।
उन्हें 47 वर्षीय उस स्कूल शिक्षक से डोनर हार्ट मिला, जो इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म के फटने के कारण लगातार ब्रेन हेमरेज से पीड़ित थे और उन्हें केआईएमएस हेल्थ अस्पताल (KIMS HEALTH hospital) में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था।
टीम में कार्डियोवैस्कुलर और थोरेसिक सर्जरी विभाग से डॉ बैजू एस धरन, डॉ विवेक वी पिल्लई, डॉ सौम्या रेमनन, डॉ रंजीत एस, डॉ वीना वासुदेव, कार्डियोलॉजी विभाग से डॉ हरिकृष्णन एस, डॉ कृष्णमूर्ति केएम, डॉ दीपा एस कुमार, डॉ अरुण गोपालकृष्णन, डॉ ज्योति विजय और कार्डियक एनेस्थीसिया विभाग से डॉ श्रीनिवास वीजी शामिल थे, जिन्होंने अपनी-अपनी टीमों के साथ यह लंबा ऑपरेशन करने में योगदान दिया।
इस टीम को ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर बीना पिल्लई, कार्डियक सर्जरी और कार्डियक एनेस्थीसिया के वरिष्ठ रेजिडेंट, पर्फ्यूजन टेक्नोलॉजी विभाग के कर्मचारी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग और ब्लड बैंक स्टाफ, नर्सिंग और तकनीकी स्टाफ, ट्रांसपोर्ट विंग, सुरक्षा और बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी विंग के साथ-साथ संस्थान के अन्य मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ सदस्यों का सहयोग मिला। केरल पुलिस ने भी अंग के त्वरित परिवहन के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की थी।