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भगवान श्री बदरीनाथ के दर्शन करने पहुंचे मुकेश अंबानी

श्री बदरीनाथ धाम


देश के शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी भगवान श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे। अंबानी ने श्रीहरि के चरणों में कमल के फूल भेंट किए। वह मुंबई से अपने साथ फूल लेकर आए थे। उद्योगपति मुकेश अंबानी ने मीडिया से सिर्फ इतना कहा कि देश की जनता के कल्याण के लिए भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए। उन्होंने सादगीपूर्वक तरीके से भगवान के दर्शन किए और भगवान बदरीनाथ को माखन-मिश्री का भोग लगाया। साथ ही तुलसी की माला और पंचमेवा भी चढ़ाए। उनकी पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को नहीं रोका गया। श्रद्धालुओं के बीच से होकर उद्योगपति अंबानी मंदिर के अंदर गए। उनके दौरे के दौरान विशेष प्रोटोकॉल नजर नहीं आया।

सुबह साढ़े नौ बजे मुकेश अंबानी का विशेष हेलीकॉप्टर बदरीनाथ धाम में राज्य सरकार के हेलीपैड पर पहुंचा। उनके काफिले में चार हेलीकॉप्टर शामिल थे। यहां से वह पहले बदरी-केदार मंदिर समिति के गेस्ट हाउस में गए। फिर 9ः46 बजे उन्होंने गेट नंबर दो से मंदिर में प्रवेश किया। वह पैदल ही मंदिर तक पहुंचे। इस बीच श्रद्धालुओं के बीच से होकर गए। वह वीआईपी गेट से अंदर गए, लेकिन इस दौरान आम श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं रोका गया। दूसरी तरफ से आम श्रद्धालु भी दर्शन करते रहे। जबकि इससे पहले हुए वीआईपी आवागमन के दौरान आम श्रद्धालुओं को रोका जा रहा था, लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला। उनके इस सादगीपूर्ण तरीके की सभी ने प्रशंसा की। सुबह 10ः05 बजे वह मंदिर से बाहर निकले। इसके बाद वह केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गए। केदारनाथ मंदिर से निकलने के बाद मुकेश अंबानी रिलायंस समूह की धर्मशाला कोकिला धीराज निवास में पहुंचे। यहां उन्होंने पांच मिनट आराम किया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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