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आपको सलामः दीप्ति ने घर की रसोई से की एक पहल, अब आसमां छूने की तैयारी

राजेश पांडेय

मार्केट में गए, तो हमने उनको अपने बनाए मसाले दिखाए तो उन्होंने कह दिया, यह नहीं चलेगा। उन्होंने यह नहीं बताया कि हमारे मसाले क्यों नहीं चलेंगे। वो कुछ नामी ब्रांड से हटकर हमें चुनना नहीं चाहते थे। उनके इस जवाब से हम थोड़ा निराश तो हुए, पर हमने हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि हमें अपने प्रोडक्ट पर भरोसा है।

हमने बाजार की बजाय मसालों को सीधा उपयोगकर्ताओं (Users) यानी ग्राहकों तक पहुंचाने का निर्णय लिया। घर-घर और व्यक्तिगत संपर्कों पर मसालों की बिक्री के लिए संपर्क किया। हमें उम्मीद से अच्छा Response मिला। लोगों के Review हमारा हौसला बढ़ाते हैं। यह हमारे लिए खुशी की बात है कि जिन लोगों ने इन होम मेड मसालों को इस्तेमाल किया, वो हर बार डिमांड करते हैं।

देहरादून के करनपुर में रहने वालीं लघु उद्यमी दीप्ति जैन, मसाला एवं पापड़ उद्योग पर बुधवार (11 अगस्त 2021) को डुगडुगी से बात कर रही थीं। बताती हैं कि हमारे उद्यम को आगे बढ़ने में mouth publicity ने भी काफी सहयोग किया। यह हमारे लिए बड़ी बात है।

हमारे पास वर्तमान में मसालों की 22 वैरायटी (Varieties of Spices) हैं,जिनका उत्पादन हम स्वयं करते हैं। उन्होंने बेटे सहज जैन के साथ मसालों का उत्पादन एवं मार्केटिंग अप्रैल में स्टार्ट कीं।

इससे पहले टिफिन सर्विस (Tiffin service)  शुरू की थी। हमारे बनाए खाने को लोगों ने काफी पसंद किया। इस भोजन में घर के बनाए मसाले ही इस्तेमाल करती थीं, इसलिए ये टेस्टी और हेल्दी थे। खाना बनाने और खिलाने का शौक मुझे बचपन से है।

दीप्ति का मानना है कि सभी को शुद्ध भोजन का अधिकार (Right to pure food) है। भोजन में इस्तेमाल सभी पदार्थों को शुद्ध एवं ताजा (pure and fresh food) होना चाहिए। यह हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा भी है।

हम सभी तक टिफिन तो नहीं पहुंचा सकते थे, पर हम मसाले जरूर पहुंचा सकते हैं। साथ ही, हमारे जानने वाले लोगों ने हमें मसालों को बाजार में उतारने की सलाह दी।  इस तरह हमने मसाला उद्योग की शुरुआत की।

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हमने स्पेशल गरम मसाला और चाय मसाला (Special Garam Masala & Tea Masala) से शुरुआत की। आलू की सब्जी में इसको इस्तेमाल करती थीं। लोग पूछते थे कि मैं सब्जी में कौन से मसाले उपयोग करती हूं। हमारे पास स्वयं की कई तरह की रेसिपी हैं। मैं खुद के बनाए मसाले की ही चाय पीती हूं।

उनका कहना है कि किसी भी पहल से पहले आप यह मत सोचिएगा कि हमारे पास संसाधन नहीं हैं, धन नहीं है, कैसे करेंगे। आपके पास जो भी कुछ है, उन्हीं संसाधनों से पहल कर दीजिए। हमने भी ऐसा ही किया। हमने 250 ग्राम चाय मसाला से शुरुआत की। हमारी रसोई में जो भी कुछ था, उससे शुरुआत की। फिर थोड़ा-थोड़ा सामान इकट्ठा किया और मसाले बनाना जारी रखा।

हमने अपने जानकारों, खानपान के शौकीन लोगों को मसाले टेस्ट कराए। उनके रीव्यू लिए। उनकी सलाह पर काम किया और हमारा व्यवसाय धीरे-धीरे ही सही, पर बढ़ रहा है। हमारे पास संसाधन भी जुड़ रहे हैं।

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स्पेशल गरम मसाला और चाय मसाला को मिले अच्छे रीव्यू ने हमें और भी मसाले बनाने के लिए प्रेरित किया। हम गरम मसाले में उन खाद्य पदार्थों को भी शामिल करते हैं, जो बाजार में बिकने वाले अन्य गरम मसालों में नहीं होते, जैसे कि आंवला, अनारदाना, मैथी दाना आदि। ये हमारे गरम मसाला को अन्य की तुलना में स्वाद एवं सुगंध के मामले में कुछ अलग करते हैं।

हम गन पाउडर (Gun Powder) भी बनाते हैं, जो तमिलनाडु का प्रसिद्ध मसाला (Tamilnadu’s famous spice) है। वहां इडली, सांभर, डोसा के साथ इसको घी में मिलाकर खाया जाता है। मैंने इसको सब्जी में इस्तेमाल किया, जिससे स्वाद बढ़ जाता है।

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मसालों में मिलने वाले पदार्थों की सफाई, उत्पादन में सहयोग, उत्पादन की पैकेजिंग के लिए चार महिलाएं हैं। हमने उनके कार्य करने के समय को कुछ इस तरह मैनेज किया है कि उनको अपने घर के कामकाज में कोई दिक्कत नहीं होती।

रीव्यू आपका आत्मविश्वास तो बढ़ाते हैं, पर मार्केटिंग के लिए आपको रणनीति तो बनानी ही पडे़गी। हमने कांबो ऑफर (Combo offer) निकाला, जिसमें मसालों की 11 वैरायटी के छोटे पैकेट और पापड़ का एक पैकेट शामिल है।

कांबो ऑफर ने हमें व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद की। यह खूब बिक रहा है। हमारे पास पापड़ की आठ वैरायटी हैं, इनमें से ग्राहक अपनी पसंद की एक वैरायटी कांबो ऑफर में ले सकते हैं। पापड़ सहित इसका रेट 290 रुपये है।

देहरादून में पापड़ की इतनी वैरायटी हमारे पास ही मिलेंगी, जिनमें मूंग जीरा, मूंग लहसुन, उड़द प्लेन, उड़द पंजाबी, चना स्पेशल आदि शामिल हैं।

दीप्ति जैन का बेटे सहज जैन, अभी चार्टर्ड एकान्टेंट की पढ़ाई कर रहे हैं और मार्केटिंग, कच्चे माल की खरीद, स्टॉक एवं एकाउंट संभालते हैं। बताते हैं कि कच्चे माल यानी मसालों में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों (Raw Material or Ingredient)  का चयन सावधानीपूर्वक करते हैं।

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हम बाजार से पहले सैंपल लेते हैं, उनमें से सर्वश्रेष्ठ को चुनते हैं। फिर चुने गए कच्चे माल को बल्क में खरीद लेते हैं। बाजार में बड़ी कंपनियां हैं, जिनके डिस्प्ले, पैंकिंग बहुत शानदार हैं, उनके पास बड़ी टीम है। पर, हमें अपनी क्वालिटी पर भरोसा है। हम सभी नॉर्म्स पूरे कर रहे हैं।

दीप्ति बताती हैं कि हम तेज पत्ता को पेड़ों से ही तोड़कर लाते हैं। पत्तों को अच्छी तरह धोकर, सुखाकर इस्तेमाल करते हैं। मसाले बनाने से पहले सभी इन्ग्रेडिएंट्स को अच्छी तरह सुखाते हैं, ताकि उनमें नमी न रहे। इससे मसाले बेहतर होते हैं।

उन्होंने बताया कि हमने होल सेलर्स, रिटलर्स से संपर्क किया, पर उनका कहना है कि कस्टमर जिस ब्रांड की मांग करते हैं, उनको वही देना होता है। ऐसे में आपके मसाले नहीं बिक पाएंगे। इसलिए हमने सीधा ग्राहकों से संपर्क किया।

कुछ ही माह में हम कोरियर से भी मसालों की डिलीवरी करने लगे हैं। जर्मनी के लिए कल ही पार्सल भेजा। होम मेड मसालों की डिमांड (Demand of home made spices) बहुत है।

दीप्ति बताती हैं कि हम डिमांड के अनुसार ही मसाले बनाते हैं, ताकि ताजगी एवं शुद्धता बनी रहें। हमारे पास कम से कम 50 ग्राम की पैकिंग (packaging of spices) है। बड़ी पैकिंग मांग के अनुसार बनाते हैं। बाहर के लिए आधा किलो या एक किलो की पैकिंग करते हैं।

मसाले बनाने के लिए सहज जैन, एक सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैं। बताते हैं कि मान लीजिए हमें डेढ़ किलो गन पाउडर (manufacturing of gun powder) बनाना है। सॉफ्टवेयर में गन पाउडर की क्वांटिटी डेढ़ किलो फीड कर देते हैं।

सॉफ्टवेयर हमें बता देता है कि डेढ़ किलो गन पाउडर बनाने के लिए चना दाल, मिर्च, इमली सहित जितने भी Ingredient इस्तेमाल होते हैं, उनकी कितनी-कितनी मात्रा लेनी है। उसी हिसाब से हम Ingredient को तोल कर अलग-अलग बर्तनों में इकट्ठा कर लेते हैं। इतना मसाला बनाने में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं।

दीप्ति बताती हैं कि जब कोई हमसे कहता है कि आपके बनाए मसाले लाजवाब हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है। ऐसा लगता है कि हमारी सारी मेहनत सफल हो गई।

सहज एक किस्सा साझा करते हैं कि हमारे घर में कुछ मेहमान आए थे। मम्मी (दीप्ति) ने शाही पनीर में घर का बनाया पनीर मसाला (Paneer Masala) इस्तेमाल किया था। उनको खाना पसंद आया और उन्होंने अपने घर पर पार्टी के लिए तीन किलो शाही पनीर का आर्डर दे दिया।

दीप्ति बताती हैं कि एक अस्पताल में रोगियों के लिए भोजन की आपूर्ति (Food supply to Hospital) करते थे। एक रोगी ने डॉक्टर से कहा कि क्या मुझे अस्पताल में एक दिन और रोक सकते हैं। उनका कहना था कि यहां खाना बहुत अच्छा मिलता है। दीप्ति कहती हैं कि यही Compliments हमारे लिए Inspiration हैं।

कोविड-19 (COVID-19) में बहुत सारे लोगों का रोजगार ठप हो गया। बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई। दीप्ति जैन ने कोविड-19 के दौर में मसाला उद्यम शुरू किया। उनका कहना है कि हताश होकर कुछ नहीं हो सकता। इससे तो हम अपने आप को और डाउन करते चले जाएंगे।

कई बार लगता है कि सारे रास्ते बंद हो गए। पर मेरा मानना है कि सभी रास्ते बंद नहीं होते। जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुछ रास्ते जरूर खुले होते हैं। मेरे सामने भी विपरीत परिस्थितियां आईं, पर कुछ न कुछ तो करना है। हम खाली नहीं बैठ सकते। कोशिश करके तो देखिए।

दीप्ति हंसते हुए कहती हैं, अब हमें डर लग रहा है, क्योंकि हमारी सफलता की उड़ान तेज हो रही है। सोचती हूं कि इस व्यवसाय को कैसे संभालूंगी। पर, मुझे अपनी टीम और फ्रैंड सर्कल (Friend circle) पर पूरा विश्वास है। सभी का मुझे सहयोग मिलता है।

उनकी भविष्य की योजना (Future’s plan) सभी मसाला प्रोडक्ट को आर्गेनिक (Organic spices products) बनाना है। दूसरा प्लान, मसालों को देशभर में और देश से बाहर पहुंचाना है। उनको डिस्प्ले सेंटर (Display center in market) भी खोलना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके होम मेड मसालों (Home Made Spices) के बारे में जान सकें।

सहज बताते हैं कि हम मसालों को एक्सपोर्ट (Export of spices) करने वाली एजेंसियों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उनसे जुड़ने के लिए पहले हमें अपना base strong करना होगा। प्रोडक्शन यूनिट (spices production unit) को मजबूत करके प्रोडक्शन को बढ़ाना चाहते हैं।

हम छोटा सा प्लांट (mini plant of spices) स्थापित करें। वहां स्टाफ रखें, मशीनों से काम नहीं हो। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार (employment in spices industries) के रास्ते खोलना चाहते हैं। इस उद्यम को, खासकर महिलाओं (Women worker in spices industries) के लिए आजीविका का माध्यम बनाना चाहते हैं।

होम मेड मसाला निर्माता दीप्ति जैन (दाएं ओर) के साथ सहज जैन व मास कम्युनिकेशन की छात्रा ज्योति। फोटो- डुगडुगी

हमने, होम मेड मसालों की सोशल मीडिया मार्केटिंग (Social media marketing) का जिम्मा संभाल रहीं मास कम्युनिकेशन की छात्रा (Student of mass communication) ज्योति से उनके प्लान के बारे में जानना चाहा। उनका कहना है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

उनको अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी (Quality of spices products) से परिचित करा रहे हैं। खान पान के शौकीन लोगों (food lovers) के माध्यम से हमारे प्रोडक्ट्स लोगों तक जाएंगे। मार्केटिंग के माध्यम से मसाला उद्यम की ग्रोथ करनी है। हमारी पूरी कोशिश है कि सोशल मीडिया पर अपने प्रोडक्ट्स लेकर संवाद बनाए रखें।

मसाले- पेरी पेरी, नूडल पाउडर, चाट मसाला, सांभर मसाला, बिरयानी मसाला, पनीर मसाला, दूध मसाला, शाही पनीर मसाला, स्पेशल गरम मसाला, बुकनु चूरण, गन पाउडर, चाय मसाला सहित 22 वैरायटी।

गमलों में उगाईं पौधों की विविध प्रजातियां – दीप्ति जैन ने घर में गमलों में पौधों की कई प्रजातियां उगाईं हैं, जिनमें- वन तुलसी, श्यामा तुलसी, मीठी तुलसी, कश्मीरी पुदीना, इंसुलिन का पौधा, लेमन ग्रास, सुदर्शन लिली, बहेड़ा, नीम, छोटी इलायची, मुर्वा, बड़ी इलायची, ऑरेगेनो (Oregano) आदि।

अगली बार फिर मिलेंगे किसी और पड़ाव पर, तक तक के लिए बहुत सारी शुभकामनाएं…। आपके क्षेत्र में भी कोई व्यक्ति या समूह किसी इनोवेशन से जुड़े हैं तो हमें जरूर बताइएगा। आप हमसे संपर्क कर सकते हैं- 9760097344

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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