agricultureFeaturedNewsUttarakhand

सहकारिता क्षेत्र में उत्तराखंड पहले नंबर परः अमित शाह

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने सराहनीय कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित किया

हरिद्वार। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम में राज्य में 95 संयुक्त सहकारी खेती, जनसुविधा तथा जन औषधी केन्द्रों एवं बहुद्देशीय सहकारी समितियों के पूर्ण रूप से कंप्यूटरीकरण का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर उन्होंने सराहनीय कार्य कर रहे किसानों को सम्मानित भी किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना के लाभार्थियों को चेक वितरित करने के साथ ही मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना, संयुक्त सहकारी खेती एवं पैक्स कम्यूटरीकरण पर बनी डाक्यूमेंटरी का भी अवलोकन किया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 17 माह बाद सभी 670 पैक्स के कंप्यूटराइजेशन के साथ ही 95 मल्टीपर्पज पैक्स का कार्य भी पूर्ण किया जा चुका है। इसके लिए मुख्यमंत्री धामी एवं सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने कहा,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 वर्ष में पहली बार देश में अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया। आज 360 सहकारी बैंकों की शाखाएं, 670 बहुद्देशीय पैक्स, 670 एमपैक्स का कंप्यूटराइजेशन कर उत्तराखंड देश में सहकारिता क्षेत्र में पहले नम्बर पर आ गया है।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय सहकारिता यूनिवर्सिटी बनाए जाने के साथ ही राष्ट्रीय सहकारिता डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। सहकारिता नीति बनाई जा रही है। बीजों के उत्पादन के लिए मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बन चुके हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का उत्तराखंड के प्रति विशेष लगाव है। आज जिन योजनाओं का शुभारंभ हुआ है, उनसे राज्य के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को लाभ होगा।

इस अवसर पर सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, राज्यसभा सांसद डॉ. कल्पना सैनी, नरेश बंसल, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, विधायक मदन कौशिक, आदेश चौहान, प्रदीप बत्रा आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button