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सीएम धामी ने बाबा विश्वनाथ जी का जलाभिषेक किया

वाराणसी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार सुबह काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ जी का जलाभिषेक किया।
सोशल मीडिया पर साझा करते हुए मुख्यमंत्री धामी लिखते हैं-
काशीश्वरं सकलभक्तजनातिहारं, विश्वेश्वरं प्रणतपालनभव्यभारम् ।
रामेश्वरं विजयदानविधानधीरं, गौरीश्वरं वरदहस्तधरं नमामः ॥
उन्होंने बताया, आज प्रातः काल संपूर्ण विश्व के पालक बाबा विश्वनाथ जी का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। विश्वेश्वर से हम सभी प्रदेश वासियों पर सदैव अपनी कृपादृष्टि बनाए रखने हेतु प्रार्थना की। हर हर महादेव
इससे पहले मुख्यमंत्री धामी ने एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चित्र साझा किया हैं, धामी लिखते हैं- आज काशी में सपरिवार भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी से भेंट करने का अवसर प्राप्त हुआ। भगवान शिव की नगरी में बाबा विश्वनाथ के अनन्य भक्त मोदी जी से मिलकर अत्यंत खुशी की अनुभूति हुई तथा उनका स्नेह व आशीर्वाद भी मिला।

मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में जानकारी दी- काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में स्थापित की गई लोकमाता, पुण्यश्लोक देवी अहिल्या बाई होल्कर जी की प्रतिमा पर शीश नवा कर पूरे प्रदेश की ओर से उन्हें नमन किया। आपकी धर्मनिष्ठा हमारे लिए आदर्श है और हम सदैव इसका अनुसरण करेंगे।

उन्होंने लिखा- आततायियों द्वारा मंदिर परिसर पर किए गए आघात के बाद इसके पुनर्निर्माण व काशी के वैभव को पुनर्स्थापित करने के लिए देवी अहिल्या बाई होल्कर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने सदैव सनातन संस्कृति के मूल्यों को प्रोत्साहन व धर्म को सर्वोच्च स्थान दिया। ऐसी महान शिव साधिका को मेरा कोटिश नमन।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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